रायगढ़

लैलूंगा ब्रेकिंग : ‘रक्षक ही बने भक्षक’ – तहसीलदार और पटवारी ने भू-माफिया के साथ मिलकर रची बड़ी साजिश! जिंदल की जमीन को किसान की बताकर 11 लाख ठगे!…

लैलूंगा। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में राजस्व विभाग (Revenue Department) के भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम आदमी जिस पटवारी और तहसीलदार पर भरोसा कर अपनी जिंदगी भर की कमाई लगाता है, वही अधिकारी अगर भू-माफिया के साथ मिल जाएं, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?

​लैलूंगा पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी और भू-माफिया समेत 4 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश रचने का संगीन मामला दर्ज किया है।

क्या है पूरा मामला? (The Big Scam) : लैलूंगा निवासी अशोक कुमार (शिकायतकर्ता) को सपने में भी अंदाजा नहीं था कि जिस जमीन को वह सरकारी अधिकारियों के भरोसे खरीद रहे हैं, वह असल में उनकी है ही नहीं।

​वर्ष 2018 में, दलाल सुरेन्द्र गुप्ता और कथित विक्रेता बिहारीलाल पटेल ने अशोक कुमार को ग्राम झिंकाबहाल (तमनार) में खसरा नंबर 208 की जमीन दिखाई। भरोसा जीतने के लिए उन्होंने न केवल फर्जी कागजात दिखाए, बल्कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी इस ‘खेल’ में शामिल कर लिया।

अधिकारियों की मिलीभगत : ‘साहब’ के केबिन में रची गई साजिश… हैरान करने वाली बात यह है कि जब पीड़ित अशोक कुमार ने जमीन की सत्यता जांचने के लिए हल्का पटवारी परमेश्वर नेताम से संपर्क किया, तो पटवारी ने झूठ बोला कि “जमीन सही है और बिहारीलाल के नाम पर है।”

​इतना ही नहीं, पटवारी पीड़ित को लेकर तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार (तमनार) अशोक कुमार मार्बल के पास ले गया। आरोप है कि तहसीलदार ने भी अपने पद की गरिमा को ताक पर रखते हुए पीड़ित को भरोसा दिलाया कि “जमीन अधिग्रहण में नहीं है, आप इसे खरीद सकते हैं।”

ऐसे हुआ पर्दाफाश : पीड़ित ने अधिकारियों की बात पर भरोसा कर 11,84,000 रुपये (लगभग 12 लाख) का भुगतान कर दिया और रजिस्ट्री भी करवा ली। लेकिन साल 2023 में जब पीड़ित ने ऑनलाइन रिकॉर्ड चेक किया, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।

​जिस जमीन को तहसीलदार और पटवारी ने बिहारीलाल की बताया था, वह राजस्व रिकॉर्ड में ‘जिंदल पावर एंड स्टील लिमिटेड’ के नाम पर दर्ज थी। जब पीड़ित ने पटवारी से जवाब मांगा, तो उसे टालमटोल कर भगा दिया गया।

FIR में नामजद आरोपी (The Accused) : पुलिस ने इन चारों के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 (फर्जीवाड़ा) और 120-B (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया है:

  1. सुरेन्द्र गुप्ता (दलाल/ब्रोकर)
  2. बिहारीलाल पटेल (फर्जी विक्रेता)
  3. परमेश्वर नेताम (तत्कालीन हल्का पटवारी, झिंकाबहाल)
  4. अशोक कुमार मार्बल (तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार, तमनार – वर्तमान में प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख, कांकेर)

बड़ा सवाल : यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के साथ ठगी का नहीं है, बल्कि यह सिस्टम में दीमक की तरह लगे भ्रष्टाचार का सबूत है। जब तहसीलदार स्तर का अधिकारी ही फर्जीवाड़े में शामिल हो, तो आम जनता अपनी जमीन की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करे? कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस ने यह FIR दर्ज की है, जो प्रशासनिक सुस्ती को भी उजागर करता है।

अब देखना यह होगा कि पुलिस इन हाई-प्रोफाइल आरोपियों, विशेषकर सरकारी ओहदे पर बैठे ‘सफेदपोश’ अपराधियों पर कब तक शिकंजा कस पाती है।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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