रायगढ़

धनतेरस पर जाम में जकड़ा रायगढ़ : प्रशासन की नाकामी और ट्रैफिक विभाग की मनमानी से बेहाल शहर

रायगढ़, 18 अक्टूबर। कभी शांत और सलीकेदार माने जाने वाला रायगढ़ अब अव्यवस्था और जाम की मार झेल रहा है। आधे किलोमीटर की परिधि में फैला यह छोटा सा कस्बाई शहर – जिसका दिल संजय कॉम्पलेक्स, गद्दी चौक, मंदिर चौक, हंडी चौक और सती गुड़ी चौक के आसपास धड़कता है -आज दम तोड़ती यातायात व्यवस्था की दर्दभरी तस्वीर बन चुका है।

अब हर दिन ‘जाम दिवस’ : पहले सिर्फ त्योहारी दिनों में ट्रैफिक रेंगता था, अब तो बुधवार जैसे साधारण दिन भी किसी त्योहार से कम नहीं लगते। धनतेरस की सुबह तो हालात चरम पर हैं – सिर्फ 100 मीटर का फासला तय करने में आधा घंटा लग रहा है। लोग कह रहे हैं, “अब रायगढ़ में चलना आसान नहीं, रेंगना मजबूरी है।”

एंबुलेंस भी फंसी, मरीज और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान : शहर की संकरी गलियां चारपहिया वाहनों की अवैध पार्किंग से भर चुकी हैं। वन वे रोड और पार्किंग की योजना सिर्फ कागजों में है। एंबुलेंस सायरन बजाती रह जाती है, पर भीड़ रास्ता नहीं देती। जिन सड़कों से पहले पैदल चलना सहज था, अब वे भी दमघोंटू गलियों में तब्दील हो गई हैं।

प्रशासनिक फेलियर साफ दिखता है : ट्रैफिक पुलिस की गाड़ियां कभी-कभार दिखती हैं, मगर जमीनी हकीकत यही है कि प्रशासन की मौजूदगी सड़क पर शून्य है। बैरिकेडिंग का इस्तेमाल ट्रैफिक सुधारने के बजाय आम लोगों की परेशानी बढ़ाने में हो रहा है। जहां पहले रास्ता साफ था, अब वहां से गुजरना चुनौती बन गया है।

अतिक्रमण पर दिखावटी कार्रवाई : हर महीने किसी “बड़े अफसर” के दौरे के बाद दो दिन के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलता है – फोटो खिंचती है, सुर्खियां बनती हैं, लेकिन तीसरे दिन से वही अव्यवस्था फिर लौट आती है। सड़कें फिर कब्जे में चली जाती हैं, और आम रायगढ़िया उसी जाम में फिर कैद हो जाता है।

व्यवस्था नहीं, व्यापार की चिंता : त्योहारी सीजन में व्यापारियों की बिक्री पर असर पड़ रहा है। ग्राहकों का आना-जाना मुश्किल हो गया है, पर सुधार की कोई ठोस कोशिश नहीं। ट्रैफिक प्लानिंग, पार्किंग जोन, रोड डायवर्जन जैसी बातें सिर्फ मीटिंगों तक सीमित हैं।

जनसुविधा नहीं, धनसुविधा पर ध्यान : औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले रायगढ़ में अब जनप्रतिनिधियों और अफसरों का फोकस जनता नहीं, ठेके और टेंडर पर है। सड़कें, पार्किंग, और यातायात की व्यवस्था सुधारने की जगह, वे परियोजनाओं और उद्घाटनों में व्यस्त हैं।

रायगढ़ की सच्चाई यह है : यह शहर अब चलने लायक नहीं बचा। लोग त्योहारों में घर से निकलने से डरते हैं। ट्रैफिक में फंसा रायगढ़ सिर्फ जाम में नहीं, प्रशासनिक उदासीनता में भी फंसा हुआ है।

“अब जाम रायगढ़ की पहचान बन गया है, और इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी कि धनतेरस पर शहर ने राहत नहीं, घुटन महसूस की।”


Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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