सोनम वांगचुक की रिहाई एवं अन्य मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने रैली निकालकर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने बालोद जिले के दल्ली राजहरा के कैम्प 1 शहीद भवन से शुरू हुई रैली के माध्यम से कई गंभीर मांगों और मुद्दों को लेकर आवाज उठाई। रैली जैन भवन चौक पहुंची, जहां सोनम वांगचुक की नि:शर्त रिहाई, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई भूषण रामकृष्ण गंवई पर जूते से अमानवीय हमला, दलित, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ नारेबाजी हुई। इसके बाद रैली एसडीएम कार्यालय पहुंची, लेकिन वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था, जिससे प्रदर्शनकारी आक्रोशित होकर ऑफिस के गेट पर धरने पर बैठ गए ओर नाराबाजी करते रहे एसडीएम साहब अपना दौरा बीच में छोड़ कर ज्ञापन लेने आए। तब महामहिम राष्ट्रपति महोदया, प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय दंडाधिकारी डौण्डीलोहारा दल्ली राजहरा को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें स्थानीय व राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की। इस रैली ने छत्तीसगढ़ के स्थानीय सामाजिक-राजनैतिक मुद्दों पर गहरा ध्यान खींचा और अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठाए।

पूर्व विधायक व छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जनक लाल ठाकुर ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि सोनम वांगचुक बहुप्रतिष्ठित समाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा सलाहकार, वैज्ञानिक व्यक्तित्व के धनी हैं जिन्होंने देश के लिए कई अविष्कार भी किए है। ऐसे व्यक्ति को अचानक से देश के लिए खतरा और देशद्रोही बताकर कारागार में डालना सरकार की साजिश है। पहाड़ों को निजी हाथों में सौंप कर लूट का रास्ता बनाने का षड़यंत्र रचा गया है। हम सोनम वांगचुक की नि:शर्त रिहाई की मांग करते हैं।
सीजेआई भूषण रामकृष्ण गंवई सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सनातन विरोधी कहते हुए जूते से अमानवीय हमला करना ये मनुवादी विचार धारा से प्रेरित है। ये हमला शिक्षा और संविधान पर हमला है। हम ऐसे घोर अमानवीय कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं और ऐसे अमानवीय कृत्य को अंजाम देने वालों पर त्वरित कठोर कार्यवाही करने की मांग करते हैं। जिससे देश में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो। पिछले 10-11 सालों में दलितों पर हमला, आदिवासियों पर हमला, धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमला बहुत ज्यादा तेज हुए हैं। इन पर हमले करने वालों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है इसलिए इनके हौसले और बुलंद होते हैं। ऐसे लोगों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

छत्तीसगढ़ में स्मार्ट बिजली मीटर के चलते जनता के बिजली बिल दोगुना-तिकोना बढ़ने की शिकायतें बढ़ रही हैं। लोगों का आरोप है कि मीटर की आड़ में बिजली कंपनियां भारी वसूली कर लूट का रास्ता खोल रही हैं। इसलिए जनता मांग कर रही है कि इस बढ़े हुए बिलों को तुरंत रोका जाए।
वहीं, प्रदेश में हुई बेमौसम बारिश और ओला गिरने से किसानों को बड़े पैमाने पर फसल नुकसान हुआ है। उनसे उचित फसल बीमा राशि देने की भी मांग उठी है ताकि वे आर्थिक रूप से राहत पा सकें।
बालोद जिले के जामड़ीपाट वन क्षेत्र की जमीन को लमती पंचायत के आश्रित तुएगोंदी गांव को नहीं देते हुए मंदिर के सहारे संत बालकदास को पट्टा देने की सरकारी साजिश पर रोक लगाने की भी आवाज उठाई जा रही है।
इसी बीच, छत्तीसगढ़ सरकार पर जनता को शराब का आदी बनाने और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप भी लगा है। देश में बढ़ती बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों में कटौती के बीच निजी क्षेत्र में भी स्थानीय बेरोजगारों के साथ अन्याय हो रहा है।

इन तमाम मुद्दों को लेकर एक दिवसीय रैली धरना प्रदर्शन किया गया। ताकि आर्थिक, सामाजिक व पर्यावरणीय स्थिरता बनी रहे। इन मुद्दों पर त्वरित कार्यवाही न होने पर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ माईंस श्रमिक संघ, जन मुक्ति मोर्चा, सीटू युनियन, गोण्डवाना समाज, बौद्ध समाज, हल्बा समाज और संयुक्त मोर्चा ने व्यापक व उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
इस एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में जनक लाल ठाकुर, रामचरण नेताम, राजाराम बरगद, बिहारी लाल ठाकुर, ललन साहू, सर्व आदिवासी समाज से देवेन्द्र उइके, संतोष घराना, कुंभकरण पिस्दा, संतराम ठाकुर, विनोद मिश्रा, रामदीन गुप्ता, प्रमोद कावले, मुकेश मांझी, छबीला कोर्राम, संगीता, ममता मंडावी, सुमन उइके, हेमंत कांडे, श्रीराम, राजू साहू, टोमन, भूपेंद्र, हितेश सहित सैकड़ों कार्यकर्ता और संघठन के लोग इस धरना प्रदर्शन में शामिल हुए।




