
रायपुर/धमतरी। गंगरेल मुरुमसिल्ली बांध, न्यू रूद्री बैराज और सोंदूर बांध में पानी की भराव स्थिति के चलते पानी छोड़े जाने से महानदी तटीय क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ धान की फसल जलमग्न हो गई। प्रभावित क्षेत्रों के किसान आक्रोशित हो गए और नवापारा के समीप दुलना, कठौली, धुमा, पटेवा व नारी ग्राम के किसानों ने कुरुद-नवापारा मार्ग पर लगभग चार घंटे तक सड़क जाम कर प्रदर्शन किया।
किसानों का आरोप है कि जल संसाधन विभाग की लापरवाही और दुलना एनीकेट के गेट बरसात में भी बंद रहने के कारण खेतों में पानी भर गया। प्रदर्शनकारी किसानों ने बताया कि लगभग एक हजार एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है और अधिकांश खेत अब पूरी तरह जलमग्न हैं।
धूमा के किसान चमन साहू ने कहा, “मेरा 10 एकड़ का खेत बाली निकलने की कगार पर था, लेकिन अब 80-90 प्रतिशत फसल जलमग्न हो चुकी है।” पटेवा के श्यामलाल साहू ने भी स्थिति की गंभीरता बताई। प्रदर्शन में दुलना, पटेवा और कठौली के दर्जनों किसान मौजूद रहे, जिनमें दौवा राम साहू, गणपत साहू, नारायण साहू, सुंदर साहू, सुखदेव साहू, लीलाराम साहू, उमेश साहू, झमन साहू, गौकरण साहू, पूर्णानंद देव चौधरी, उत्तम प्रकाश साहू, डोमन साहू, सागर साहू और गोपाल साहू शामिल थे।
किसानों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही नुकसान का सर्वेक्षण और मुआवजे की घोषणा नहीं की गई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उनकी मांग है कि या तो दुलना एनीकेट को तोड़ा जाए या सरकार हर साल मुआवजे की निश्चित राशि घोषित करे।
नवापारा और अभनपुर तहसीलदार दुर्गा साहू मौके पर पहुंचकर किसानों को समझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे और ज्ञापन सौंपकर लौटे।
वहीं, गंगरेल मुरुमसिल्ली, न्यू रूद्री और सोंदूर बांध पूरी तरह भर चुके हैं। सिकासार जलाशय भी लबालब है, जिससे नदी-नालों में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। निचली बस्तियों में बाढ़ का पानी घुसने के साथ ही तटीय खेतों में भारी नुकसान हुआ है।
जल संसाधन विभाग की लापरवाही और बांधों से पानी छोड़े जाने की योजनाबद्ध प्रक्रिया में खामी के कारण किसानों की फसलें गंभीर संकट में हैं। प्रभावित किसान अपने अधिकार और मुआवजे की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए सड़क से लेकर प्रशासन तक सशक्त आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।




