छत्तीसगढ़

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और छत्तीसगढ़ : सत्याग्रह की धरती पर गूंजती विरासत…

भारत की स्वतंत्रता संग्राम की गाथा में महात्मा गांधी का नाम सिर्फ एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि विचारों, त्याग और जनजागरण के प्रतीक के रूप में दर्ज है। गांधीजी जहाँ-जहाँ गए, वहाँ के जनमानस को उन्होंने सत्य, अहिंसा और स्वराज की नई चेतना से भर दिया। छत्तीसगढ़ भी इस राष्ट्रीय धारा से अछूता नहीं रहा।

गांधीजी का छत्तीसगढ़ आगमन : महात्मा गांधी पहली बार 24 दिसंबर 1920 को रायपुर पहुँचे थे। यह काल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए निर्णायक था, जब असहयोग आंदोलन पूरे देश में जोर पकड़ रहा था।

  • रायपुर आगमन पर उनका भव्य स्वागत हुआ और उन्होंने रायपुर के गांधी मैदान (तब का परेड ग्राउंड) में सभा को संबोधित किया।
  • उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों से विदेशी वस्त्र बहिष्कार, चरखा अपनाने और राष्ट्रीय शिक्षा संस्थानों को समर्थन देने का आह्वान किया।
  • इसी दौरान रायपुर में विद्या मंदर स्कूल और राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाओं को नई ऊर्जा मिली।

गांधीजी का यह दौरा छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आंदोलन की नई लहर लेकर आया।

छत्तीसगढ़ में असहयोग और नमक आंदोलन की गूंज : गांधीजी के संदेश का सीधा असर छत्तीसगढ़ की जनता पर पड़ा।

  • 1920–21 के असहयोग आंदोलन में छत्तीसगढ़ के पंडित सुंदरलाल शर्मा जैसे नेताओं ने अग्रणी भूमिका निभाई। उन्हें “छत्तीसगढ़ का गांधी” कहा गया।
  • 1930 के नमक सत्याग्रह का प्रभाव रायगढ़, बिलासपुर और दुर्ग जैसे इलाकों में देखने को मिला।
  • महिलाओं ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई।

गांधीजी और आदिवासी समाज : गांधीजी ने सदैव आदिवासी और दलित समाज के उत्थान पर जोर दिया। छत्तीसगढ़, जो आदिवासी बहुल प्रदेश है, गांधीजी के संदेशों को गहराई से आत्मसात करता रहा।

  • आदिवासी समाज में सादा जीवन, आत्मनिर्भरता और प्रकृति से जुड़ाव गांधीजी के विचारों से मेल खाता था।
  • छत्तीसगढ़ के कुशल कारीगर, चरखा कातने और खादी बुनने वाले लोग गांधीजी की आत्मनिर्भरता की दृष्टि का प्रतीक बने।

गांधीजी की प्रेरणा और छत्तीसगढ़ के नेता : गांधीजी की विचारधारा से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ में कई नेता स्वतंत्रता आंदोलन के लिए आगे आए।

  • पंडित सुंदरलाल शर्मा : असहयोग आंदोलन के प्रणेता, “छत्तीसगढ़ का गांधी”।
  • ठाकुर प्यारेलाल सिंह : मजदूर आंदोलन और सामाजिक न्याय के समर्थक।
  • डॉ. खूबचंद बघेल : छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत और किसानों की आवाज।
  • बालकृष्ण शर्मा नवीन, राजीव लोचन शर्मा और अन्य स्वतंत्रता सेनानी गांधीजी के संदेश से प्रेरित होकर जनता को जागृत करते रहे।

गांधीजी की विरासत और आज का छत्तीसगढ़ : आज छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव में गांधीजी की प्रतिमाएँ और उनके विचार लोगों को प्रेरित करते हैं।

  • रायपुर का गांधी मैदान, जहाँ उन्होंने सभा की थी, आज भी ऐतिहासिक धरोहर है।
  • खादी और ग्रामोद्योग आज भी गांधीजी की आत्मनिर्भरता की सोच को जीवित रखते हैं।
  • आदिवासी अंचलों में आज भी “प्रकृति-संग जीवन” गांधीजी की दर्शन की झलक पेश करता है।

महात्मा गांधी का छत्तीसगढ़ से सीधा रिश्ता उनके अल्प प्रवास और संदेशों में छिपा है। उन्होंने यहां के जनमानस को सत्य, अहिंसा और स्वदेशी की शक्ति से परिचित कराया। छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानियों ने गांधीजी की प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गांधीजी भले ही भौतिक रूप से यहाँ सीमित समय के लिए आए हों, लेकिन उनके विचार आज भी छत्तीसगढ़ की मिट्टी में, उसके गाँवों की सादगी में और उसकी जनसंस्कृति में गूंजते हैं।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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