
लैलूंगा । सीमा सिदार : तहसील अंतर्गत मुड़ापारा के मोहल्ले में सड़क की हालत अब किसी आपदा से कम नहीं रही। बरसात के मौसम के बाद भी रास्ते कीचड़ और दलदल में तब्दील हैं। यह वही मार्ग है, जो बच्चों को स्कूल, महिलाओं को बाजार और बुजुर्गों को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचाता है — लेकिन अब यहाँ चलना किसी साहसिक अभियान से कम नहीं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर कदम पर फिसलन और गंदगी का सामना करना पड़ता है। “बच्चों के जूते मिट्टी में फंस जाते हैं, बुजुर्ग गिर जाते हैं, महिलाएं सिर पर बोझ लेकर निकलती हैं तो चोट खा जाती हैं,” एक ग्रामीण ने रोते हुए बताया।
जनप्रतिनिधि बने दर्शक : गांव के लोग बार-बार सरपंच और सचिव से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हर बार जवाब मिलता है: “देखते हैं।” चुनाव के वादे हवा में उड़ गए, और योजनाओं का ढोल बजाने वाले अधिकारी अब तक कीचड़ में फंसे लोगों की सुध लेने से कतराते रहे।
मुख्य मार्ग जाम नालियों और पानी के अवरोध के कारण हमेशा कीचड़ में डूबा रहता है। दोपहिया वाहन फंस जाते हैं और लोग मजबूरी में नंगे पैर ही चलने को विवश हैं।
युवाओं का चेतावनी स्वर : स्थानीय युवाओं ने चेतावनी दी है कि यदि सड़क जल्द नहीं बनी, तो वे ग्राम पंचायत कार्यालय का घेराव करेंगे। उनका कहना है, “सरकार गाँव की तस्वीर बदलने के दावे करती है, लेकिन मुड़ापारा का यह मार्ग उसकी असली हकीकत बयां कर रहा है।”
सरकार की जमीन पर असफलता : जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता ने ग्रामीणों का भरोसा तोड़ दिया है। योजनाओं और फंड की बातें करने वाले अधिकारी अब तक जनता की सबसे बुनियादी जरूरत — सड़क — पूरी करने में नाकाम रहे हैं।
मुड़ापारा के लोग आज केवल एक सवाल पूछ रहे हैं:
“कब मिलेगा हमें कीचड़ से मुक्ति?”
जब तक इसका जवाब नहीं मिलता, टटकेला का यह मार्ग सरकारी वादों का प्रतिबिंब बनकर ही रह जाएगा।




