
• ग्रामीणों की सूचना पर भूपदेवपुर पुलिस की त्वरित कार्रवाई, 299-BNS और 302-BNS के तहत मामला दर्ज…
रायगढ़। जिले के भूपदेवपुर थाना क्षेत्र में रविवार को एक युवक के घर से गुप्त धर्मसभा चलने की सूचना पर पुलिस ने दबिश दी और ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में संलिप्त युवक को गिरफ्तार कर लिया। ग्रामीणों की सजगता और पुलिस की तत्परता से एक संभावित धार्मिक विवाद टल गया।
घर में छिपकर चल रहा था धर्म प्रचार : ग्राम पंडरीपानी के आश्रित गांव परसाडीपा निवासी सालिक राम खड़िया (28 वर्ष) रविवार को अपने घर में कुछ लोगों को बुलाकर धर्मसभा आयोजित कर रहा था। पुलिस के अनुसार, वह सभा में ईसाई धर्म का प्रचार कर रहा था और लोगों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा था।
ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं था — वर्ष 2015 से सालिक राम इस तरह की गतिविधियां करता आ रहा था। स्थानीय लोगों ने कई बार उसे चेतावनी भी दी, परंतु उसने अपनी गतिविधियां बंद नहीं कीं।
गांव वालों ने दी सूचना, पुलिस ने दी दबिश : रविवार को फिर से सभा होने की जानकारी मिलने पर ग्रामीणों ने तत्काल भूपदेवपुर पुलिस को सूचित किया। थाना प्रभारी संजय नाग अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और सभा को रुकवाया। मौके से सालिक राम को गिरफ्तार कर थाने लाया गया।
पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में धर्मांतरण के प्रयास से जुड़ी गतिविधियों के संकेत मिले हैं।
आरोपी पर लगा मामला, जांच जारी : पुलिस ने आरोपी सालिक राम खड़िया के खिलाफ धारा 299-BNS और 302-BNS के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। थाना प्रभारी संजय नाग ने कहा,
“गांव वालों की सूचना पर तत्काल कार्रवाई की गई। आरोपी अपने घर में धर्मसभा कर ईसाई धर्म का प्रचार कर रहा था। जांच की जा रही है कि क्या इसके पीछे कोई संगठन या बाहरी समर्थन है।”
गांव में बढ़ी सतर्कता, प्रशासन अलर्ट : घटना के बाद परसाडीपा गांव में चर्चा तेज हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी गतिविधियां गांव की पारंपरिक आस्था और सामाजिक एकता को आहत करती हैं।स्थिति को देखते हुए पुलिस ने गांव में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है ताकि माहौल शांत रहे और किसी प्रकार की अफवाह न फैले।
ग्रामीणों ने कहा –
“हम अपनी आस्था और परंपरा से समझौता नहीं करेंगे। गांव में किसी भी तरह का बाहरी धार्मिक प्रभाव स्वीकार नहीं है।”
संपादकीय दृष्टिकोण | धर्म और सामाजिक सौहार्द : यह प्रकरण केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है – यह उस सामाजिक चिंता का संकेत है, जो गांवों में धीरे-धीरे धार्मिक प्रचार और रूपांतरण गतिविधियों के बढ़ते स्वरूप को लेकर सामने आ रही है। कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है, वहीं समाज को भी सतर्क रहना होगा कि आस्था और स्वतंत्रता की सीमाएं पार न हों।




