रायगढ़

रायगढ़ में आस्था का विस्फोट : छठ पर्व पर आपत्तिजनक टिप्पणी से जनाक्रोश फूटा, आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज?…

रायगढ़। छठ पर्व जैसी लोकआस्था और पवित्रता के प्रतीक पर्व पर सोशल मीडिया में की गई अभद्र टिप्पणी ने रायगढ़ की सड़कों पर उबाल ला दिया। रविवार को फेसबुक पर वायरल हुई आरोपी वेब पोर्टल संचालक टिल्लू शर्मा की आपत्तिजनक टिप्पणी ने न केवल धार्मिक भावनाओं को झकझोर दिया, बल्कि पूरे शहर को आक्रोश की लपटों में झोंक दिया। दोपहर तक मामला सोशल मीडिया से निकलकर सड़क पर आ गया – भोजपुरी समाज, छठ पूजा समितियाँ, सांस्कृतिक संगठन और शहर के सैकड़ों श्रद्धालु एकजुट होकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच गए।

टिल्लू शर्मा मुर्दाबाद”, “छठ माता की जय” के नारों से एसपी कार्यालय परिसर गूंज उठा। भीड़ में तीव्र नाराज़गी थी – लोगों का कहना था कि आरोपी पहले भी विवादित टिप्पणियाँ कर चुका है, परंतु प्रशासन की नरमी ने उसके हौसले बुलंद कर दिए हैं। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी –

टिल्लू, तुम समय रहते सुधर जाओ, वरना समाज तुम्हें सुधार देगा।

यह चेतावनी सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं थी, बल्कि उन तमाम सोशल मीडिया यूज़र्स के लिए थी जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आस्था का अपमान करने की सीमा पार कर जाते हैं।

पुलिस हरकत में – FIR दर्ज, आरोपी फरार : बढ़ते जनदबाव के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी टिल्लू शर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 और 299 के तहत अपराध दर्ज किया है। कोतवाली पुलिस के अनुसार आरोपी फरार है और गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित कर दी गई है।

पुलिस अधीक्षक रायगढ़ ने स्पष्ट बयान दिया –

“धार्मिक भावनाएं आहत करने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी। कोई भी व्यक्ति समाज में वैमनस्य फैलाने का प्रयास करेगा तो कानून उसे नहीं छोड़ेगा।”

कोतवाली प्रभारी ने बताया कि संबंधित पोस्ट की डिजिटल जांच कराई जा रही है और आवश्यक हुआ तो “अधिक कठोर धाराएँ” जोड़ी जाएंगी।

“अब सिर्फ एफआईआर नहीं, गिरफ्तारी चाहिए” – समाज का ऐलान : पुलिस की त्वरित कार्रवाई की समाज ने सराहना तो की, पर उसके साथ ही यह भी कहा कि “कागज़ी कार्रवाई अब काफी नहीं। जब तक आरोपी सलाखों के पीछे नहीं जाता, आंदोलन जारी रहेगा।

वरिष्ठ सामाजिक नेताओं ने कहा –

“यह सिर्फ छठ पर्व का मामला नहीं, यह रायगढ़ की सांस्कृतिक गरिमा पर हमला है। अब समाज हर उस आवाज़ के खिलाफ खड़ा होगा जो हमारी परंपरा और आस्था का उपहास उड़ाएगी।”

प्रदर्शन के अंत में भीड़ ने सामूहिक स्वर में संकल्प लिया –

“धार्मिक भावनाओं के खिलाफ की गई किसी भी टिप्पणी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आवश्यकता पड़ी तो रायगढ़ से राज्यव्यापी जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।”

आस्था बनाम अभिव्यक्ति : कहाँ खींची जाए मर्यादा की रेखा : छठ पर्व सूर्य उपासना, मातृत्व और लोकश्रद्धा का अनुपम उत्सव है। इस पर्व का मज़ाक उड़ाना या अपमान करना मात्र “ऑनलाइन टिप्पणी” नहीं, बल्कि आस्था की जड़ों पर प्रहार माना जाता है।

कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन वही संविधान धार्मिक मर्यादा के उल्लंघन पर दंड का भी प्रावधान करता है। रायगढ़ का यह प्रकरण उसी नैतिक और संवैधानिक संतुलन की कसौटी पर खड़ा है – जहाँ समाज अपनी आस्था की रक्षा के लिए एकजुट है और कानून सामाजिक सौहार्द की मर्यादा बचाने के लिए तत्पर।

संकेत साफ है – रायगढ़ अब चुप नहीं रहेगा।आस्था का अपमान अगर आज़ादी के नाम पर किया जाएगा,तो समाज और कानून दोनों एक साथ जवाब देंगे।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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