IAS बनने का सपना देख रही महिमा साहू की मौत – सिस्टम, पैसे और पावर की साजिश से कुचल दी गई होनहार बेटी…

दुर्ग। भिलाई की मेधावी छात्रा महिमा साहू (20) IAS बनने का सपना लेकर पैदल डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए निकली थी। लेकिन 22 सितंबर की रात राजनांदगांव के मनकी चौक के पास तेज रफ्तार महिंद्रा थार (CG 04 QC 8007) ने उसे रौंद डाला। सड़क पर खून और चीखों के बीच महिमा की जिंदगी खत्म हो गई। हादसे के तुरंत बाद इंसाफ दिलाने के बजाय कहानी को दबाने और मोड़ने की साजिश शुरू हो गई।
हादसे के पीछे की परतें :
- गाड़ी नाबालिग चला रहा था, लेकिन वाहन मालिक और उसके साथी ने पुलिस को गुमराह कर फर्जी ड्राइवर राजू धुर्वे को पेश किया।
- असली मालिक रजत सिंह (31), निवासी भिलाई और उसका साथी नयन सिंह उर्फ छोटू (31), निवासी दुर्ग ने मिलकर सच छिपाने की कोशिश की।
- पुलिस पूछताछ में जब सख्ती हुई तो असली कहानी सामने आई और महिमा की मौत का सच उजागर हुआ।
पुलिस की जांच पर सवाल :
- हर दिन मामले की कहानी बदल रही है।
- आरोपियों के परिजन का कहना है – “रजत सिंह ने पुलिस का पूरा सहयोग किया, फिर भी उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है।”
- जबकि पुलिस का दावा है – “नाबालिग को बचाने और गुमराह करने की साजिश रची गई।”
सवाल यही है – क्या पुलिस सच में न्याय दिलाना चाहती है, या फिर दबाव और पैसों की ताकत के आगे झुक गई है?
महिमा – सपनों से भरी एक जिंदगी
- 2023 में 12वीं की टॉपर, राज्य में 6वीं रैंक।
- IAS बनने की तैयारी कर रही थी और साथ ही सरकारी नौकरी में चयनित हो चुकी थी।
- मन्नत के तीसरे और अंतिम वर्ष में वह मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए पैदल यात्रा पर निकली थी।
- लेकिन यह आस्था की यात्रा उसकी अंतिम यात्रा बन गई।
दर्ज धाराएं :
- धारा 106, 61(2), 238 बीएनएस
- धारा 199(क) मोटरयान अधिनियम
के तहत आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया है।
बड़े सवाल :
- नाबालिग को महंगी और खतरनाक गाड़ी क्यों थमाई गई?
- पुलिस ने शुरुआत से ही बचाने का खेल क्यों खेला?
- क्या महिमा की मौत को भी पैसे और रसूख की राजनीति दबा देगी?
यह महज़ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और अपराधियों की साजिश से कुचली गई होनहार बेटी की मौत है। महिमा साहू की आवाज अब इंसाफ की पुकार है – जिसे दबाना नामुमकिन है।




