पुसौर : साल्हेपाली में दबंगों का हठी निर्माण जारी – न्यायालय के आदेश की खुली अवहेलना, पुलिस और तहसील प्रशासन की भूमिका पर सवाल…

रायगढ़। कानून व्यवस्था और प्रशासनिक सख़्ती के तमाम दावों के बीच रायगढ़ जिले के ग्राम साल्हेपाली (थाना पुसौर) में न्यायिक आदेश की खुली अवमानना हो रही है। यहां दबंग तत्वों ने अपर आयुक्त, बिलासपुर संभाग (कैम्प कोर्ट रायगढ़) के स्पष्ट स्थगन आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अवैध निर्माण कार्य जारी रखा है। मामले पर प्रशासन और पुलिस दोनों की चुप्पी यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर न्यायिक आदेशों की अनदेखी के बावजूद शासन-प्रशासन खामोश क्यों है?
ग्राम पंचायत भातपुर के आश्रित ग्राम साल्हेपाली स्थित खसरा नंबर 273/2/क की भूमि पर विवादित निर्माण कार्य जारी है, जबकि इस भूमि पर 24 अक्टूबर 2025 तक निर्माण पर न्यायालय से रोक (Stay Order) लागू है। इसके बावजूद पंचायत प्रतिनिधियों की शह पर दबंगों द्वारा दिनदहाड़े निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
आवेदिका संतोषी बैरागी, निवासी साल्हेपाली, ने तहसीलदार रायगढ़ को लिखित शिकायत में स्पष्ट कहा है कि न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने के बावजूद ग्राम पंचायत की मिलीभगत से भूमि पर अवैध निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले की सूचना पुसौर पुलिस और तहसील कार्यालय को कई बार दी गई, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ़ एक ज़मीन विवाद नहीं, बल्कि कानून और न्यायपालिका की साख पर सीधा प्रहार है। न्यायालय का आदेश सार्वजनिक रूप से तोड़ा जा रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। सवाल यह है कि जब आदेशों की ऐसी खुलेआम अवहेलना हो सकती है, तो फिर आम नागरिक किस पर भरोसा करें?
कानूनी जानकारों के अनुसार, यह प्रकरण न्यायालय की अवमानना और प्रशासनिक लापरवाही दोनों का गंभीर उदाहरण है। न्यायिक आदेश के बावजूद कार्रवाई न होना न केवल कर्तव्यच्युत अधिकारियों की मिलीभगत को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि दबंगई के आगे शासन तंत्र झुक चुका है।
स्थानीय नागरिकों ने कलेक्टर रायगढ़, संभागायुक्त बिलासपुर और पुलिस अधीक्षक रायगढ़ से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यदि अवैध निर्माण कार्य तुरंत नहीं रोका गया और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो ग्रामीण व्यापक आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
“जब न्यायालय के आदेशों की कोई अहमियत नहीं रह गई, तो फिर कानून का राज किसके लिए है?” — स्थानीय ग्रामीण
साल्हेपाली में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ़ एक गांव का मसला नहीं, बल्कि पूरे जिले की प्रशासनिक नपुंसकता और कानूनी बेखौफी की मिसाल बन चुका है।
👉 अब देखना यह है – क्या प्रशासन दबंगों के आगे फिर झुकेगा या कानून की प्रतिष्ठा बचाने के लिए एक उदाहरण पेश करेगा?




