मुख्यमंत्री साय के गृह ज़िले जशपुर में ‘महुवा माफिया राज’! -प्रशासन मौन, सिस्टम बिक चुका है, कानून घुटनों पर!…

जशपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले में इन दिनों कानून नहीं, “महुवा माफिया” का राज चल रहा है।
पत्थलगांव, बाकरुमा, कांसाबेल, कुनकुरी और जशपुर क्षेत्र अब अवैध कारोबार के गढ़ बन चुके हैं।
यहाँ न पुलिस कुछ देख रही है, न विभागों को कुछ सुनाई दे रहा है – बस हर तरफ “सेटिंग” और “कैश” का नशा चल रहा है।
जिले से रोज़ाना लाखों रुपये का महुवा बिना जीएसटी बिल के झारखंड भेजा जा रहा है, और पूरा सिस्टम इस पर आंख मूंदे बैठा है।
मुखबिर ने दी सूचना – 48 लाख का महुवा झारखंड रवाना, फिर ‘सेटिंग’ से मामला दफ्न!
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले जशपुर एसपी शशि मोहन सिंह को सूचना दी गई कि पत्थलगांव से चार ट्रकों में करीब 48 लाख रुपये का महुवा अवैध रूप से झारखंड भेजा जा रहा है।
सूचना पर कुछ पत्रकार और स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे –
गाड़ियाँ पाकरगांव पेट्रोल पंप के पास खड़ी मिलीं।
जांच के दौरान चालक ने साफ कहा –
“गाड़ी में महुवा है, बिना कागज के जा रही है। अगर कुछ बात करनी है तो मेरे ‘सेठ जी’ से कर लो।”
कुछ मिनटों में ही फोन आया – और “सेठ जी” ने कहा,
“दिवाली खर्चा रख लीजिए, मामला यहीं खत्म कर दीजिए।”
लेकिन स्थानीय लोग और पत्रकारों ने जवाब दिया –
“जब पुलिस और प्रशासन सो रहे हैं, तो हमें क्या लेना-देना? आप जाइए, अपने पैसे अपने पास रखिए!”
और देखते ही देखते चार ट्रक महुवा फिर से सड़क पर चल पड़े – प्रशासन की नाक के नीचे।
गरीब की रिपोर्ट नहीं लिखी जाती, मगर व्यापारी का फोन आते ही पूरा थाना झुक जाता है!
विडंबना ये है कि अगर कोई गरीब थाने में रिपोर्ट लिखवाने जाता है, तो उसे घंटों दौड़ाया जाता है।
लेकिन जब कोई व्यापारी फोन करता है, तो पूरा थाना उसके आगे “सैल्यूट मोड” में आ जाता है।
यही है सच्चाई —
“जशपुर में अब कानून गरीबों के लिए नहीं, सिर्फ ‘सेटिंग वालों’ के लिए लिखा गया है।”
रेवेन्यू और एक्साइज विभाग की गहरी मिलीभगत – रोज़ निकल रही हैं 8-10 ट्रक गाड़ियाँ, बिना बिल, बिना जांच!
सूत्र बताते हैं कि जिले से रोज़ाना 8 से 10 ट्रक महुवा झारखंड और ओडिशा भेजे जा रहे हैं।
न जीएसटी बिल, न रजिस्टर, न पूछताछ।
रेवेन्यू और एक्साइज विभाग के अफसरों की भूमिका सबसे संदिग्ध है – क्योंकि बिना उनकी सहमति के इतनी बड़ी मात्रा में ट्रक पार नहीं हो सकते।
यानी अब जशपुर में “सरकारी संरक्षण” के बिना कोई अवैध व्यापार संभव ही नहीं।
“जो विभाग चोरी रोकने के लिए बने हैं, वही अब चोरी में हिस्सेदार बन चुके हैं।”
मुख्यमंत्री के गृह जिले में कानून की नाकाबंदी! – क्या साय जी को इस माफिया तंत्र की भनक नहीं?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है —
जब ये सारा खेल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के अपने गृह जिले में चल रहा है,
तो क्या उन्हें इसकी जानकारी नहीं?
या फिर प्रशासन और अफसरों ने मुख्यमंत्री तक सच्चाई पहुँचने ही नहीं दी?
कानून अगर मुख्यमंत्री के जिले में ही लाचार है, तो बाकी जिलों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जनता का सवाल – “क्या जशपुर में कानून बिक गया है?” : अब जनता पूछ रही है –
“कानून सो रहा है या किसी व्यापारी की जेब में कैद है?”
“पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती?”
“मुख्यमंत्री साय के जिले में भी अगर माफिया खुलेआम माल भेज सकते हैं, तो आम जनता किस पर भरोसा करे?”
जशपुर का सच किसी अख़बार की हेडलाइन नहीं, बल्कि राज्य प्रशासन के चरित्र की दरार है।
जहाँ अवैध कारोबारियों की जेबें भर रही हैं, वहीं शासन की साख और जनता का भरोसा खाली हो रहा है।
🔥 मुख्यमंत्री साय के गृह जिले में अब सवाल सिर्फ महुवा का नहीं है – सवाल है “सिस्टम की आत्मा” का!
रायगढ़ जिले में भी वही काम : पार्ट 2 में करेंगे मामला उजागर…. 🙏🙏🙏




