बारसूर में स्वामी आत्मानंद स्कूल की बच्चियाँ बोलीं ये “मैडम गालियाँ देती हैं, मारती हैं, कमरे में बंद करती हैं”; कलेक्टर से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं!…

दंतेवाड़ा | जिले के बारसूर में स्थित स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चियों का सब्र अब जवाब दे गया है। नौवीं और दसवीं की छात्राओं ने अपनी ही शिक्षिका माधुरी उइके पर गंभीर आरोप लगाए हैं गालियाँ देना, मारपीट करना और क्लास में बंद कर देना!
छात्राओं ने खुलकर कहा है “मैडम न सिर्फ हमें प्रताड़ित करती हैं, बल्कि दूसरे टीचर्स को भी अपमानित करती हैं। कई टीचर्स इसी वजह से स्कूल छोड़कर जा चुके हैं।”
कलेक्टर से शिकायत, लेकिन अब तक ‘कार्रवाई शून्य’ : छात्राओं का कहना है कि उन्होंने जिला कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नतीजा यह हुआ कि 10 अक्टूबर को सभी बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी और स्कूल से बाहर निकल गए।
अब बच्चों का साफ ऐलान है है
“जब तक प्रशासन माधुरी मैडम को नहीं हटाएगा, हम स्कूल के अंदर नहीं जाएंगे।”
“हमारे परिजन मिलने आए तो क्लास में बंद कर दिया” : छात्रा अनन्या ने बताया +
“एक दिन हमारे परिजन मिलने आए थे, लंच ब्रेक था। लेकिन माधुरी मैडम ने हमें मिलने नहीं दिया। हमें क्लास में बंद कर दिया गया था। किसी तरह से हम बाहर निकले। अब डर है कि अगर दोबारा स्कूल गए तो मैडम हमारे साथ कुछ गलत कर सकती हैं।”
अफसरों पर बच्चों का आरोप ये “बयान बदलने के लिए दबाव डाला गया” : छात्राओं ने बताया कि जब उन्होंने विरोध किया तो ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) खुद स्कूल पहुँचीं। लेकिन उन्होंने शिक्षिका पर कार्रवाई करने के बजाय बच्चों को ही फटकार लगाई।
बच्चों के शब्दों में ये
“BEO मैडम ने कहा कि अपना बयान बदल दो। बोलीं कि मैडम का 15 साल का रेपुटेशन है, यह मामला बाहर गया तो उनका नाम खराब हो जाएगा।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया — ‘3-4 दिन में जांच’ का आश्वासन : इस पूरे विवाद पर दंतेवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) प्रमोद ठाकुर ने कहा —
“हमें सूचना मिली है कि कुछ बच्चे कलेक्टर से मिले थे। हमने जांच टीम गठित की है। तीन-चार दिन के भीतर जांच पूरी कर कार्रवाई की जाएगी। अगर BEO मैडम ने बच्चों से बयान बदलवाने की बात कही है तो उसकी भी जांच होगी।”
बड़ा सवाल
- जब छात्राओं की सुरक्षा और मानसिक उत्पीड़न का मामला सामने है, तो तत्काल निलंबन क्यों नहीं?
- प्रशासन की ‘जांच जारी’ की नीति क्या दोषियों को बचाने की कवायद है?
- और अगर बच्चियों की बात सही साबित होती है, तो क्या ऐसे शिक्षकों को ‘शिक्षक’ कहने का हक बचता है?
जनता की नजरें अब प्रशासन पर
बारसूर की बच्चियाँ डरी हुई हैं, लेकिन उनका साहस काबिले तारीफ है। वे न्याय की मांग कर रही हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि दंतेवाड़ा प्रशासन बच्चियों की आवाज़ सुनता है या “15 साल के रेपुटेशन” की ढाल में दोषियों को छिपा देता है।