जांजगीर-चाम्पा

गोठान में मौत का मंजर: 14 मवेशियों की रहस्यमयी मौत ने हिलाया प्रशासन – लापरवाही पर FIR, लेकिन असली वजह अब भी राज!…

जांजगीर – चाम्पा। जिले के नवागढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम सलखन स्थित गोठान से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां 14 मवेशियों  जिनमें 7 गाय और 7 बैल शामिल हैं की रहस्यमयी मौत ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। हैरानी की बात यह है कि घटना को लगभग एक महीना बीत चुका है, लेकिन मौत की वजह का खुलासा अब तक नहीं हो सका है

6 अक्टूबर की सुबह जब ग्रामीण रोज की तरह गोठान पहुंचे, तो सामने मौत का भयावह मंजर था चारों ओर बेजान पड़े मवेशियों के शव, कुछ जगहों पर कंकाल बिखरे हुए, और कुछ घायल जानवर कराहते हुए। तुरंत पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा।

घटना स्थल का निरीक्षण कर बनाया गया नक्शा, पंचनामा व पोस्टमार्टम कराया गया : सूचना मिलते ही सउनि रामप्रसाद बघेल अपनी टीम के साथ गोठान पहुंचे। गोठान के भीतर स्थित ‘नवा तालाब’ के किनारे और नीचे 14 मवेशी मृत, 5 कंकाल और 3 घायल जानवर मिले। घायल मवेशियों का मौके पर इलाज कराया गया। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसीलदार, पशु चिकित्सक और पुलिस बल की मौजूदगी में मृत मवेशियों का पंचनामा, नक्शा तैयार कर पोस्टमार्टम की कार्यवाही पूरी की गई। बाद में ग्रामीणों और पंचायत सदस्यों की उपस्थिति में सभी शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

पुलिस ने माना लापरवाही, गोठान संरक्षक पर FIR दर्ज : प्राथमिक जांच में पुलिस ने माना कि गोठान की देखरेख में गंभीर लापरवाही बरती गई, जिससे इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई। इसी आधार पर पुलिस ने गोठान संरक्षक के खिलाफ धारा 325 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 11(1)(क) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया है।

अब तक नहीं मिला मौत का कारण सवालों के घेरे में गोठान प्रबंधन : पुलिस और प्रशासनिक जांच के बावजूद अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मवेशियों की मौत जहरीला चारा, दूषित पानी या किसी बीमारी से हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि गोठान में पशुओं के भोजन और पानी की व्यवस्था लंबे समय से चरमराई हुई थी, जबकि पंचायत और पशुपालन विभाग ने इसे नजरअंदाज किया।

ग्रामीणों की मांग – जिम्मेदार अफसरों पर भी हो कार्रवाई : ग्रामवासियों ने मांग की है कि केवल गोठान संरक्षक ही नहीं, बल्कि पंचायत सचिव और पशुपालन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। ग्रामीणों का कहना है “अगर पहले ध्यान दिया गया होता तो इतनी बड़ी तादाद में निर्दोष जानवरों की जान नहीं जाती।”

जनभावना का सवाल क्या ‘गोठान योजना’ सिर्फ कागजों पर सजीव है? : यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार की गोठान योजना की जमीनी हकीकत पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या यह योजना वास्तव में पशुओं के संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण के लिए है, या सिर्फ कागजों पर बनी एक “आदर्श तस्वीर”?

अब निगाहें प्रशासनिक रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि यह महज एक हादसा था या एक योजनाबद्ध उपेक्षा का परिणाम।

Ambika Sao

सह-संपादक : छत्तीसगढ़

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