मेडिकल स्टोर बना मौत का ठिकाना : 10 साल के मासूम की इंजेक्शन से गई जान, बलरामपुर की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था उजागर

बलरामपुर। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही ने एक मासूम की जिंदगी छीन ली। महज 10 साल का अनमोल एक्का, जिसे घुटने के घाव का इलाज चाहिए था, मेडिकल स्टोर संचालक की लापरवाही का शिकार बन गया। बिना योग्यता और अनुमति के इलाज करने वाले स्टोर संचालक ने बच्चे को इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन के रिएक्शन से उसकी हालत बिगड़ती चली गई और अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया।
घर से अस्पताल और फिर मौत तक की त्रासदी :
- बुधवार की शाम पिता जितेंद्र एक्का अपने बेटे अनमोल को लेकर कोतवाली नगर थाना क्षेत्र के शंभू मेडिकल स्टोर पहुंचे।
- संचालक ने घाव देखे बिना सीधे बच्चे के पैर में इंजेक्शन ठोंक दिया।
- कुछ ही देर बाद अनमोल की तबीयत बिगड़ने लगी।
- जिला अस्पताल से उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां ICU में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
बलरामपुर CMHO डॉ. बसंत सिंह ने कहा – “मामले की जानकारी नहीं मिली है। शिकायत मिलेगी तो जांच कर कार्रवाई होगी।”
यह बयान न केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करता है बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि मौत के बाद भी अगर शिकायत का इंतजार करना पड़े तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई कौन करेगा?
- बलरामपुर जिला मुख्यालय में आधा दर्जन मेडिकल स्टोर खुलेआम मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
- झोलाछाप डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों के इंजेक्शन, ड्रिप और दवाओं से अब तक कई जानें जा चुकी हैं।
- ग्रामीण और गरीब मरीजों के पास अस्पतालों में सुविधा न होने से मजबूरी में यही ठिकाने ‘अस्पताल’ बने हुए हैं।
बड़ा सवाल
- बिना MBBS/डिप्लोमा डिग्री वाले मेडिकल स्टोर संचालक को मरीजों को इंजेक्शन लगाने की अनुमति किसने दी?
- जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कब तक झोलाछापों को मौत बांटने की छूट देते रहेंगे?
- मासूम अनमोल की मौत का जिम्मेदार कौन है?
यह मौत महज एक हादसा नहीं, बल्कि बलरामपुर की बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था और लापरवाह प्रशासन का आईना है। जब तक झोलाछाप और मेडिकल स्टोर संचालकों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अनमोल जैसे मासूमों की जान जाती रहेगी।




