पत्रकारों पर मानहानि नोटिस: जशपुर में फूटा ग़ुस्सा, पत्रकार संगठनों का हल्ला बोल – मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन…

जशपुर। मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जशपुर में पत्रकारों के खिलाफ मानहानि नोटिस थोपने और मुकदमे की धमकी के खिलाफ शुक्रवार को जिलेभर के पत्रकार संगठनों ने ज़िला कलेक्टर कार्यालय घेर लिया। गुस्से से लबरेज पत्रकारों ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए साफ कहा कि लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ज्ञापन में पत्रकारों ने जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक नूतन सिदार पर गंभीर आरोप लगाते हुए मांग की कि उन पर तत्काल अपराध दर्ज कर सेवा से बर्खास्त किया जाए।

पत्रकारों के आरोप : लोकतंत्र पर हमला – ज्ञापन में पत्रकारों ने लिखा कि –
- एक-एक करोड़ रुपये की मानहानि नोटिस भेजकर पत्रकारों को अपमानित करने की साज़िश रची गई।
- इस पूरे मामले पर जिला कलेक्टर की चुप्पी संदिग्ध और शर्मनाक है।
- विभागीय अधिकारी जनसंपर्क आयुक्त के साथ मिलकर षड्यंत्र कर रहे हैं।
- मुख्यमंत्री और संवाद प्रमुख को गुमराह कर गलत दिशा में धकेला जा रहा है।
- पत्रकारों को अपराधी की तरह प्रस्तुत कर लोकतंत्र की चौथी कड़ी को कुचलने की कोशिश की गई है।
पत्रकारों की प्रमुख मांगें :
- नूतन सिदार के खिलाफ FIR दर्ज कर बर्खास्तगी की कार्रवाई हो।
- उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
- शासन स्पष्ट करे कि पत्रकारों को धमकाने और मानहानि नोटिस भेजने का आदेश आखिर किस दबाव में दिया गया।
- जनसंपर्क विभाग में सुधारात्मक कदम उठाकर भविष्य में पत्रकारों को प्रताड़ित करने की गुंजाइश खत्म की जाए।
आंदोलन की चेतावनी : पत्रकार संगठनों ने साफ कहा कि यह मामला सिर्फ जशपुर का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़ा है। अगर तुरंत और ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यभर के पत्रकार उग्र आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।
ज्ञापन पर बड़ी संख्या में स्थानीय, वरिष्ठ और युवा पत्रकारों के हस्ताक्षर दर्ज हैं। यह दिखाता है कि पत्रकार समुदाय इस मामले को सिर्फ नोटिस का नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व और गरिमा की लड़ाई मान रहा है।
यह विवाद अब सिर्फ जशपुर तक सीमित नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री के गृह ज़िले से उठी यह चिंगारी राज्यभर की राजनीति और प्रशासनिक हलचल को हिला सकती है।