रायगढ़

तमनार में फिर सुलग उठी विरोध की आग : ‘मौत के मुहाने’ पर बैठे ग्रामीणों का जिंदल की जनसुनवाई के खिलाफ ‘आर-पार’ का ऐलान…

रायगढ़। तमनार का आकाश एक बार फिर ‘जल-जंगल-जमीन’ बचाओ के नारों से गूंज रहा है। गारे पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक, जो जिंदल पावर लिमिटेड को आवंटित किया गया है, की प्रस्तावित जनसुनवाई के विरोध में स्थानीय आदिवासी समुदाय और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं।

प्रशासन ने ग्रामीणों की आपत्तियों और ग्राम सभा के विरोध को दरकिनार करते हुए 8 दिसंबर को जनसुनवाई की तारीख तय कर दी है। इसके जवाब में सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रस्तावित स्थल पर ही डेरा जमा लिया है और साफ कर दिया है कि “जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे।”

प्रशासन का रवैया : लोकशाही या तानाशाही? – स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन पूरी तरह से कॉरपोरेट के दबाव में काम कर रहा है। इससे पहले भी भारी विरोध के चलते जनसुनवाई स्थगित करनी पड़ी थी, लेकिन अब प्रशासन ने बिना किसी संवाद या सहमति के दोबारा तारीख घोषित कर दी है। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि यह जनसुनवाई नहीं, बल्कि “जन-हत्या” की तैयारी है।

बारूद के ढेर पर तमनार : कब तक सहा जाएगा जहर? – तमनार ब्लॉक की स्थिति पहले ही भयावह है। यहाँ की हकीकत डराने वाली है:

  • 9 खदानें पहले से संचालित हैं।
  • 2 विशालकाय पावर प्लांट दिन-रात धुआं उगल रहे हैं।
  • 3 और नई खदानें प्रस्तावित हैं।

​नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की कई कमेटियों ने स्पष्ट किया है कि यह क्षेत्र अपनी ‘Carrying Capacity’ (वहन क्षमता) पार कर चुका है। यहाँ की हवा, पानी और मिट्टी में जहर घुल चुका है।

NEERI और ICMR की रिपोर्ट : बीमारियों का घर बना तमनार – नीरी (NEERI) और आईसीएमआर (ICMR) जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं की रिपोर्ट्स ने यहाँ के निवासियों पर पड़ रहे गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर किया है। रिपोर्टों के मुताबिक, यहाँ प्रदूषण का स्तर इतना जानलेवा है कि लोगों का जीना दूभर हो गया है। बावजूद इसके, सरकार और कंपनी की ‘सांठ-गांठ’ एक और खदान थोपने पर आमादा है।

कानून और ग्राम सभा का खुला उल्लंघन : यह वही क्षेत्र है जहाँ 2024 में NGT ने पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए गारे पेलमा सेक्टर-2 की पर्यावरण मंजूरी (EC) रद्द कर दी थी। लेकिन ऐसा लगता है कि प्रशासन ने उस आदेश से कोई सबक नहीं लिया।

​सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि ग्राम सभाओं ने इन प्रोजेक्ट्स के खिलाफ लिखित प्रस्ताव पारित किए हैं। पेसा (PESA) कानून के तहत ग्राम सभा सर्वोच्च है, लेकिन यहाँ ग्राम सभा के फैसलों को रद्दी की टोकरी में डालकर कॉरपोरेट के मुनाफे को प्राथमिकता दी जा रही है।

धरने पर बैठे ग्रामीणों की हुंकार : जनसुनवाई स्थल पर धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है, “हम पहले ही प्रदूषण और बीमारियों से मर रहे हैं। अब हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ना होगा। 8 दिसंबर को होने वाली जनसुनवाई किसी भी कीमत पर रद्द होनी चाहिए।”

​अब देखना यह है कि क्या प्रशासन लोकशाही की आवाज सुनता है, या फिर कॉरपोरेट के हित में एक और काले अध्याय की इबारत लिखता है।

तमनार में कॉरपोरेट लूट के खिलाफ हल्ला बोल!

  • ​जिंदल पावर लिमिटेड के गारे पेलमा सेक्टर-1 की जनसुनवाई के खिलाफ आदिवासी समाज ने खोला मोर्चा।
  • ग्राम सभा के विरोध और NGT की चेतावनियों के बावजूद, 8 दिसंबर को जनसुनवाई थोपने की प्रशासनिक जिद्द।
  • NEERI और ICMR कह चुके हैं – तमनार ‘गंभीर प्रदूषण’ की चपेट में है, फिर एक और खदान क्यों?

सैकड़ों ग्रामीण धरने पर। मांग साफ़ – जनसुनवाई रद्द करो!

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Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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