
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। जिले के डौंडी थाना क्षेत्र के ग्राम जमरूवा (चिखली) में तरबूज की खेती को लेकर दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना सामने आई है। इस झड़प का कारण पानी की व्यवस्था को लेकर विवाद बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच जमीन और जल संसाधन को लेकर टकराव इतना बढ़ गया कि देर रात एक पक्ष ने दूसरे पर हमला कर दिया। मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जांच शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार, पखांजुर के रहने वाले किसान सोमेंद्र मंडल ने ग्राम जमरूवा में स्थानीय ग्रामीणों की अनुमति से छह किसानों की जमीन लीज पर लेकर तरबूज की खेती शुरू की थी। दूसरी ओर, पास के गांव चिखली में दो किसान सनिश मंडल और विश्वजीत दास ने भी इसी तरह की खेती के लिए किसानों की जमीन लीज पर ली थी, लेकिन उनकी जमीन पर पानी की समस्या थी। इसलिए उन्होंने सोमेंद्र मंडल से जमरूवा बांध से पानी की व्यवस्था करने की मांग की।
सोमेंद्र ने साफ किया कि पानी की व्यवस्था के लिए पहले उन्होंने ग्रामीणों और सिंचाई विभाग से अनुमति ली हुई है। इसके बावजूद जब सनिश और विश्वजीत ने इस पर आपत्ति जताई तो विवाद बढ़ गया। सनिश मंडल और विश्वजीत दास ने फोन पर पीड़ित किसान सोमेंद्र को जान से मारने की धमकी दी। फिर उसी रात लगभग 10 बजे सनिश, विश्वजीत, राजकुमार हलधर, अजीत, नेपाल विश्वास और उनके अन्य साथी लाठी-डंडों से लैस होकर सोमेंद्र मंडल के मजदूरों पर हमला कर दिए।

हमले के दौरान सोमेंद्र मंडल के साथ काम करने वाले मजदूर संजय मंडल, मोहन कुमार उसेंडी, मनमद विश्वास, शंभू मंडल, परमेश ध्रुवा और लक्कू आंचला गंभीर रूप से घायल हो गए। हमलावरों ने झोपड़ी में भी तोड़फोड़ की और लगभग दो लाख रुपये नकद तथा एक मोबाइल फोन लूटकर फरार हो गए। इस घटना से गांव में हड़कंप मच गया और लोग घायलों की मदद के लिए दौड़े। घायल मजदूरों को इलाज के लिए डौंडी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मामले की शिकायत के बाद डौंडी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। पुलिस ने गांव में शांतिप्रिय माहौल बनाये रखने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है।
यह घटना बालोद जिले में खेती को लेकर बढ़ते तनाव और संसाधन संबंधी संघर्ष का एक चिंताजनक उदाहरण है। दावा किया जा रहा है कि उचित अनुमति और पारदर्शिता न होने के कारण ही यह विवाद हिंसक रूप ले चुका है। वहीं प्रशासन एवं सिंचाई विभाग की भूमिका और सतर्कता भी सवाल के घेरे में है कि कैसे जल संसाधन और जमीन के बंटवारे को लेकर तनाव इस हद तक पहुंचा।
किसानी एवं ग्रामीण जनों के बीच सामंजस्य बनाये रखने के लिए प्रशासन को जल्द से जल्द समाधान निकालना जरूरी हो गया है, जिससे ग्रामीण इलाके में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।




