सीता देवी स्कूल में शिक्षक-प्रिंसिपल की हैवानियत, 9वीं की छात्रा पूनम ने दी जान – शिक्षा माफियाओं का साम्राज्य और दबंगई बेनकाब…

बिलासपुर। स्कूल, जिसे बच्चों के भविष्य की नींव कहा जाता है, वहीं पर एक मासूम की जिंदगी तबाह कर दी गई। ग्राम नवसा स्थित सीता देवी स्कूल की 15 वर्षीय छात्रा पूनम रजक ने सोमवार शाम आत्महत्या कर ली। कारण – शिक्षक और प्रिंसिपल की बेरहम पिटाई और सार्वजनिक अपमान। मासूम को बाल पकड़कर पूरे स्कूल के सामने घसीटा गया, डंडों से पीटा गया, शरीर पर गहरे जख्म छोड़ दिए गए। अपमान और दर्द से टूटी छात्रा ने घर लौटकर फांसी लगा ली।
स्कूल शिक्षक आशीष रात्रि ने कक्षा में 9वीं की पूनम और 11वीं के छात्र पप्पू वर्मा को बुलाकर कथित संबंधों का मुद्दा उठाया। पहले गाली-गलौज, फिर बाल पकड़कर घसीटते हुए पूनम को प्रिंसिपल रमेश साहू के कक्ष में ले जाया गया। वहां भी डंडों से बेरहमी से पीटा गया। गवाह छात्रों ने बताया – “पूनम की चीखें पूरे परिसर में गूंज रही थीं, मगर शिक्षक-प्रिंसिपल पर कोई असर नहीं हुआ।”
पुलिस जांच में सामने आया कि छात्रा के गले पर फांसी के फंदे के अलावा पीठ और बाजुओं पर चोटों के गहरे निशान मिले हैं। यानी मौत से पहले उसकी बेदम पिटाई हुई थी। यह सार्वजनिक प्रताड़ना और अपमान ही उसकी मौत की असली वजह बनी।
अपमानित पूनम स्कूल से घर लौटी और कमरे में खुद को बंद कर लिया। शाम करीब 6 बजे परिजन दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंचे तो वह दुपट्टे से फांसी पर झूल रही थी। पलभर में घर मातम में बदल गया और पूरा गांव सन्न रह गया।
घटना के पीछे शिक्षा माफियागिरी का बड़ा खेल भी सामने आया। सीता देवी स्कूल का संचालन प्रिंसिपल रमेश साहू की पत्नी करती है। खुद रमेश साहू सरकारी शिक्षक है, लेकिन अपने पदस्थापित स्कूल में पढ़ाने कभी नहीं जाता। वह निजी सीता देवी स्कूल और बिहारी साहू कॉलेज का संचालन करता है। उसका भाई उमेश साहू ग्राम नवसा का सरपंच है। दोनों भाइयों का इतना दबदबा है कि अधिकारी भी उनके खिलाफ बोलने से कतराते हैं।
घटना के बाद रतनपुर पुलिस मौके पर पहुंची। इसी बीच रमेश साहू और उसका भाई सरपंच उमेश साहू मामले को दबाने में जुट गए। परिजनों और ग्रामीणों पर पैसे लेकर चुप रहने का दबाव बनाया गया। यहां तक कि पुलिस पर भी दबाव डालने की कोशिश की गई। लेकिन छात्रा के शरीर पर मौजूद चोटों और फांसी के निशान को देख पुलिस ने पंचनामा तैयार किया और केस दर्ज करना पड़ा।
छात्रा के किसान पिता छोटू रजक ने कहा –
“हम गरीब हैं, हमारी कोई सुनता नहीं। लेकिन हमें भरोसा है कि कानून हमारी बेटी को इंसाफ दिलाएगा।”
यह घटना सिर्फ एक बच्ची की आत्महत्या नहीं, बल्कि उस शिक्षा माफिया साम्राज्य का काला सच है, जहां सत्ता, दबंगई और रसूख कानून को भी बंधक बना देते हैं। सवाल यह है कि क्या पूनम को न्याय मिलेगा या यह मामला भी पैसों और दबाव के नीचे दफन हो जाएगा?




