मरम्मत के नाम पर घोटाला! – दुलदुला के कोरना हाई स्कूल में 20 लाख का खेल, कागज़ों में मरम्मत ; ज़मीन पर सड़ता स्कूल…

जशपुर। जिले के दुलदुला ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोरना का हाई स्कूल आज सरकारी भ्रष्टाचार और विभागीय लापरवाही का जीवंत सबूत बन चुका है। छत्तीसगढ़ शासन ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2024-25 में विद्यालय भवन की मरम्मत के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत किए, जिनमें से 9 लाख रुपये अग्रिम भुगतान के रूप में जारी भी हो गए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मरम्मत के नाम पर एक ईंट तक नहीं लगी, जबकि फाइलों में काम पूरा दिखा दिया गया!
सरकारी धन की लूट, बच्चों की जान पर बन आई : विद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक मरम्मत का जिम्मा स्कूल शिक्षा समिति को सौंपा गया था। योजना में छत, दीवार, फर्श, दरवाजे और प्लास्टर की मरम्मत शामिल थी, लेकिन महीनों गुजर गए – न ठेकेदार दिखा, न काम। भवन की दीवारें अब चौड़ी दरारों से चिर चुकी हैं, छत टपक रही है, प्लास्टर झड़ रहा है और दरवाजे टूट चुके हैं।
यानी सरकार ने पैसा दिया, सिस्टम ने हड़प लिया – और बच्चे अब मौत के साये में पढ़ाई कर रहे हैं।
“किसी भी वक्त हादसा हो सकता है” – प्राचार्य प्रभारी : विद्यालय के प्राचार्य प्रभारी रामवृक्ष राम नाग ने बताया कि स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई होती है और प्रयोगशाला भी यहीं संचालित है। उन्होंने कहा, “भवन की स्थिति इतनी खराब है कि हमें बच्चों को दूसरे भवन में अस्थायी रूप से शिफ्ट करना पड़ा है। यदि जल्द मरम्मत नहीं हुई तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।”
ग्रामीणों का आरोप -“कागज़ों में लाखों डकार गए अधिकारी” : ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि मरम्मत के नाम पर खुली लूट हुई है। “कागज़ों में लाखों रुपये उड़ाए गए, लेकिन ज़मीनी हकीकत में एक ईंट नहीं लगी। यह सीधा घोटाला है,” ग्रामीणों ने कहा। जब इस मामले पर बीआरसी दुलदुला से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल फोन बंद मिला। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग, निर्माण एजेंसी और प्रशासन की मिलीभगत से यह काम ठप पड़ा है।
अभिभावकों की चेतावनी -“अगर काम शुरू नहीं हुआ तो घेराव होगा!” : अभिभावक अब बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं। उनका कहना है कि वे अब अपने बच्चों को खंडहर बने स्कूल में नहीं भेजेंगे। उन्होंने चेतावनी दी – “अगर जल्द मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ तो हम ब्लॉक मुख्यालय का घेराव करेंगे और शिक्षा विभाग के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे।”
शिक्षा विभाग की चुप्पी संदिग्ध : इतनी बड़ी गड़बड़ी के बावजूद विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। न कोई जांच, न कोई जवाबदेही। लाखों रुपये की सरकारी राशि कहां और कैसे खर्च हुई – इसका कोई हिसाब नहीं। अब यह मामला साफ़ तौर पर भ्रष्टाचार की गंध दे रहा है।
“यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, पूरे सिस्टम की पोल है” : कोरना हाई स्कूल की यह कहानी केवल एक विद्यालय की नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की खोखली दीवारों का आईना है।जब शिक्षा जैसी पवित्र व्यवस्था में भ्रष्टाचार की दीमक लग जाती है, तो भविष्य की नींव ही दरकने लगती है। लाखों रुपये फाइलों में उड़ गए, मगर बच्चों के सिर पर अब भी झरती छत और टूटती दीवारें हैं।
अब बड़ा सवाल यह है –
क्या शिक्षा विभाग इस लूट का हिसाब देगा?
या फिर हाई स्कूल कोरना आने वाले दिनों में सरकारी भ्रष्टाचार का अगला हादसा बनेगा?




