रायगढ़

“हर घर नल से जल” नहीं, “हर टंकी में छल!” – पेलमा की टंकी में विकास नहीं, ‘ड्रामा’ उबल रहा है साहब!…

व्यंगात्मक लेख : ऋषिकेश मिश्रा (स्वतंत्र पत्रकार )

रायगढ़। सरकार की “महत्वाकांक्षी” जल जीवन मिशन अब धीरे-धीरे देश की सबसे बड़ी हास्य योजना बनता जा रहा है -और इसका ताज़ा एपिसोड है ग्राम पंचायत पेलमा। यहां करीब 50 हजार लीटर की पानी टंकी तो ऐसे खड़ी है जैसे गांव की सेल्फी पॉइंट, लेकिन उसमें पानी की जगह भरी है केवल ठेकेदारी की अकड़ और विभागीय उदासी।

सरकार कहती है – “हर घर तक नल से जल।”
पेलमा में लोग कहते हैं – “हर गड्ढे तक दलदल।”

टंकी बनी, पर पानी नहीं। पाइप बिछी, पर सप्लाई नहीं।
जिम्मेदार हैं, पर जिम्मेदारी नहीं।
ठेकेदार धर्नुजय सिंह का नाम सुनते ही गांव वाले अब पाइप नहीं, पल्स रेट मापने लगते हैं – कहीं गुस्से से ब्लड प्रेशर न बढ़ जाए!

गांव की गलियों में जो कंक्रीट का काम हुआ, उसे देखकर तो खुद सीमेंट कंपनी वाले भी शर्मिंदा हैं। बताया जा रहा है कि काम पूरा होते ही जेसीबी से कंक्रीट तोड़कर फेंक दिया गया – शायद यह भारत का पहला “आओ बनाओ और मिटाओ” कार्यक्रम था। अब सड़कों की हालत ऐसी है कि वाहन चलाना योगा का नया आसन बन गया है – “बैलेंसासन विद गड्ढासन”!

ग्रामीणों ने जब पूछा कि “भैया ये क्या मज़ाक है?” तो ठेकेदार साहब बोले – “फिर से डालवा देंगे!”
अब गांव में “कंक्रीट फिर से डलवाने” की यह लाइन उतनी ही मशहूर है जितनी चुनावों में “अगली बार पक्का करेंगे।”
महीने बीत गए, पर न तो कंक्रीट लौटी, न पानी बहा – बस आश्वासन का फव्वारा लगातार चालू है।

पीएचई विभाग का हाल तो और निराला है। अधिकारी आते हैं, “निरीक्षण” करते हैं – यानी फोटो खींचते हैं, हेलमेट पहनकर गंभीर चेहरा बनाते हैं, और फिर लौट जाते हैं। रिपोर्ट में लिखते हैं – “कार्य प्रगति पर है।”
ग्रामीण पूछते हैं – “किधर प्रगति पर है?”
कोई जवाब नहीं, बस सरकारी चुप्पी का जलप्रवाह।

अब गांव के लोग कहते हैं कि यह “जल जीवन मिशन” नहीं बल्कि “जलजमाव मिशन” है -क्योंकि जहां टंकी है, वहां पानी नहीं; और जहां पानी है, वहां निकासी नहीं।

अब असली सवाल : क्या प्रशासन अब भी इस “विकास की हवाई टंकी” को आसमान में लटकता देखता रहेगा, या फिर इस घटिया निर्माण के ठेकेदार और अफसरों की “प्यास बुझाने” के लिए जांच की बाल्टी डालेगा?

क्योंकि फिलहाल तो ग्रामीण यही कह रहे हैं –

“यह टंकी सरकार की है या मृगतृष्णा की?”

हर घर नल से जल नहीं मिला,
हर गली में गड्ढा जरूर खिला!

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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