बालोद में धर्मांतरण का हंगामा: प्रार्थना सभा पर बवाल, पास्टर समेत 8 जेल भेजे गए….

बालोद। रविवार को बालोद जिले के गुंडरदेही थाना क्षेत्र में ईसाई समाज की प्रार्थना सभा धर्मांतरण के आरोपों के बीच बवाल में बदल गई। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने सभा को घेरते हुए जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने 22 लोगों को थाने ले जाकर पूछताछ की और पास्टर समेत 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर एसडीएम कोर्ट से जेल भेज दिया।
“भागे तो कूट देंगे” – बजरंग दल नेता की धमकी : हंगामे के दौरान स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि बजरंग दल के नेता पंकज साहू ने सभा में मौजूद लोगों को खुलेआम धमकी दी—“कोई भी भागा तो कूट दिया जाएगा।” इसी बयान को लेकर पुलिस और हिंदू संगठनों के नेताओं के बीच जमकर बहस और तीखी नोकझोंक हुई।
हिंदू संगठनों का आरोप :
- विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष बलराम गुप्ता ने प्रार्थना सभा को धर्मांतरण का अड्डा करार देते हुए कहा—
- “बीमार और गरीब लोगों को चमत्कार दिखाकर बरगलाया जा रहा था।”
- “प्रार्थना सभा की आड़ में हिंदू परिवारों को ईसाई बनाने का रैकेट चल रहा है।”
- “चर्च छोड़कर अब हिंदुओं के घरों को ही चर्च बनाया जा रहा है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस तरह का धर्मांतरण नहीं रुका तो उग्र आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
“संस्कृति पर हमला” – बजरंग दल : जिला सह-संयोजक स्वप्निल शर्मा ने कहा -“सभा में शामिल सभी लोग मूल रूप से हिंदू हैं, लेकिन वे खुद को ईसाई अनुयायी बता रहे थे। इस तरह दोहरी भूमिका निभाकर हमारी संस्कृति को कमजोर किया जा रहा है और विदेशी ताकतों को बढ़ावा दिया जा रहा है।”
गुंडरदेही टीआई मनीष शेंडे ने बताया कि –
- बिना अनुमति प्रार्थना सभा आयोजित करने पर 8 आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 170 के तहत केस दर्ज किया गया है।
- सभी को एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
- सभा में मौजूद अन्य लोगों से पूछताछ जारी है।
धर्मांतरण विवादों की कड़ी :
- शनिवार रात देवरी थाना क्षेत्र के डुमरघुचा गांव में भी धर्मांतरण की कोशिश का आरोप लगा। ग्रामीणों के आक्रोश के बाद आयोजक वहां से भाग निकले।
- माहुद बी गांव में एक घर के बाहर ‘बेटन हैन चर्च’ लिखा बोर्ड लगाए जाने पर भी विवाद खड़ा हुआ था।
बालोद की इस घटना ने धर्मांतरण के मुद्दे को एक बार फिर गरमा दिया है। सवाल यह है कि क्या यह मामला सचमुच धर्मांतरण के संगठित रैकेट का हिस्सा है या फिर आस्था की स्वतंत्रता पर चोट?