DAV स्कूल की शिक्षिका की करतूत से दहला सरगुजा, बच्ची पैरों पर खड़ी होने तक लायक नहीं, शिक्षा विभाग मुँह छुपाए बैठा…

सरगुजा। जिले के प्रतापगढ़ स्थित DAV पब्लिक स्कूल से इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। दूसरी कक्षा की 8 वर्षीय मासूम छात्रा समृद्धि गुप्ता को शिक्षिका ने इतनी बर्बर सज़ा दी कि अब वह अस्पताल के बिस्तर पर कराह रही है।
- गुनाह? टॉयलेट जाने की अनुमति माँगना।
- सज़ा? दो डंडों की मार और 100 बार उठक-बैठक।
- नतीजा? पैरों के मसल्स क्रैक, बच्ची खड़े होने और चलने-फिरने तक लायक नहीं।
शिक्षिका की अमानवीयता : समृद्धि ने बताया कि शिक्षिका नम्रता गुप्ता मोबाइल में व्यस्त थीं। रास्ते में रोककर जब उनसे टॉयलेट जाने की बात कही, तो पहले डंडे से पीटा, फिर क्लास में ले जाकर 100 बार उठक-बैठक कराई। कुछ ही देर में बच्ची के घुटनों और पैरों में असहनीय दर्द होने लगा और वह गिर पड़ी।
परिवार का आक्रोश : पीड़ित बच्ची के पिता मनोज गुप्ता अंबिकापुर में नौकरी करते हैं। फिलहाल बच्ची अपने बड़े पिता अनुराग गुप्ता के घर गुतुरमा में रहकर पढ़ाई करती है। परिजनों ने इस अमानवीय घटना की शिकायत सीधे एसपी से की है। उनका कहना है “बच्ची पढ़ने जाती है, प्रताड़ना झेलने नहीं। दोषी शिक्षिका पर तुरंत कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।”
विभाग की लीपापोती :
- DEO दिनेश झा का बयान –“हमें इस मामले में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।”
- वहीं, BEO इंदु तिर्की ने माना “घटना की जानकारी मिली है। दो दिनों में जांच होगी और शिक्षिका दोषी पाई जाती हैं, तो कार्रवाई की जाएगी।”
यानी, बच्ची अस्पताल में तड़प रही है और शिक्षा विभाग अब भी ‘जांच’ की ढाल ओढ़कर बैठा है।
तीखे सवाल :
- DAV जैसे नामी स्कूल में बच्चों की सुरक्षा आखिर किसके भरोसे है?
- क्या ‘शिकायत नहीं मिली’ कहकर विभाग हमेशा जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहेगा?
- जब बच्ची अस्पताल में दर्द से कराह रही है, तब सिर्फ कागजी जांच ही पर्याप्त है?
अब यह मामला सिर्फ विभागीय कार्रवाई तक सीमित नहीं रहना चाहिए। दोषी शिक्षिका पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी ज़रूरी है।
यह घटना केवल एक बच्ची की नहीं, बल्कि हर उस मासूम की सुरक्षा का सवाल है जो स्कूल पढ़ने जाता है, यातना सहने नहीं।