“इस्लाम कबूलो, वरना मर जाऊंगी…” अंधविश्वास और ब्लैकमेलिंग का ‘द एंड’! हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला…

बिलासपुर। “अगर मेरी बात नहीं मानी तो सुसाइड कर लूंगी” – पत्नियों की इस ‘इमोशनल ब्लैकमेलिंग’ पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त लगाम लगा दी है। कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि आत्महत्या की धमकी कोई मामूली पारिवारिक कलह नहीं, बल्कि पति के लिए घोर मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) है।
अंधविश्वास का खौफनाक खेल : बालोद का यह मामला रोंगटे खड़े करने वाला है। 2018 में सात फेरे लेने वाले एक पति की जिंदगी उस वक्त नर्क बन गई जब ससुराल वालों ने एक एक्सीडेंट को ‘भूत-प्रेत का साया’ बता दिया।
- झाड़-फूंक का ड्रामा : पति को इलाज के बजाय 7 महीने तक जबरन दरगाहों में घुमाया गया।
- धर्म परिवर्तन की साजिश : जब पति ने अंधविश्वास के आगे झुकने से मना किया, तो पत्नी ने ‘इस्लाम धर्म अपनाने’ का दबाव डालकर उसे मानसिक रूप से तोड़ना शुरू कर दिया।
हाईकोर्ट का ‘हौसला’ तोड़ता फैसला (उन पत्नियों के लिए जो कानून का दुरुपयोग करती हैं) : जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिविजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा – “धमकियों के साये में रिश्ता नहीं पनप सकता।” कोर्ट ने माना कि पत्नी का व्यवहार – बार-बार जहर खाने, खुद को आग लगाने या चाकू मारने की धमकी देना – पति के मन में ऐसा खौफ पैदा करता है जिसके साथ जीना असंभव है।
फैसला : तलाक मंजूर। पति को मिली इस ‘जहरीले रिश्ते’ से आज़ादी।



