‘एनआईटी चौपाटी’ का ‘अंधेर-राज’: 10 करोड़ स्वाहा, आमानाका में सन्नाटा और सड़कों पर सियासी संग्राम!…

रायपुर: क्या विकास के नाम पर 10 करोड़ रुपये मिट्टी में मिला दिए गए? एनआईटी चौपाटी को शिफ्ट हुए 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन नई जगह ‘आमानाका’ चौपाटी नहीं, बल्कि “भूतहा खंडहर” जैसी नजर आ रही है। जहाँ रौनक होनी चाहिए थी, वहां आज धूल, अंधेरा और खौफ का साया है!
ग्राउंड रिपोर्ट : 60 दुकानें, शटर डाउन और पसरा सन्नाटा – प्रशासन के दावों की पोल खुल चुकी है। 10 दिन बीत जाने के बाद भी 60 में से एक भी दुकान नहीं खुल पाई है।
- अंधेरा और डर: आमानाका में न बिजली है, न सफाई। इलाका इतना सुनसान है कि शाम होते ही वहां कदम रखने में भी डर लगता है।
- दुकानदारों का दर्द: जिस उम्मीद से शिफ्टिंग की गई थी, वह अब निराशा में बदल चुकी है। दुकानदार वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे और ग्राहक भटक रहे हैं।
सियासी भूचाल: कालिख, लाठीचार्ज और जेल – यह सिर्फ एक जगह बदलने का मामला नहीं, बल्कि अब भाजपा बनाम कांग्रेस का ‘दंगल’ बन चुका है।
- बुलडोजर के सामने संग्राम: 21 नवंबर का वो मंजर जब कांग्रेस नेता बुलडोजर के सामने लेट गए थे, पुलिस से झड़प हुई और कई कार्यकर्ताओं को सेंट्रल जेल भेजा गया।
- पोस्टर वार: युवा कांग्रेस का गुस्सा इतना बढ़ा कि विधायक राजेश मूणत के पोस्टर पर कालिख पोत दी गई। जवाब में पुलिस ने FIR दर्ज की, तो NSUI ने थाने का ही घेराव कर दिया।
जनता के पैसे की ‘बर्बादी’ का हिसाब कौन देगा? – सबसे बड़ा सवाल – जिस पुरानी चौपाटी को बनाने में जनता की गाढ़ी कमाई के 10 करोड़ रुपये खर्च हुए, उसे रातों-रात उजाड़ दिया गया। अब वहां ‘नालंदा-2’ बनाने का टेंडर भी जारी हो चुका है, लेकिन पुराने खर्च का क्या? कांग्रेस का आरोप है कि पहले परमिशन देने वाले अधिकारी अब उसी को अवैध बता रहे हैं। क्या यह केवल प्रशासनिक फैसला है या कोई बड़ी राजनीतिक साजिश?
मेयर का दावा vs. जमीनी हकीकत : महापौर मीनल चौबे का कहना है- “सब कुछ तेजी से ठीक हो रहा है, लाइटें लग रही हैं।” लेकिन मौके की तस्वीरें चिल्ला-चिल्ला कर कह रही हैं- “झूठ! सब झूठ!” वहां सिर्फ गंदगी, वीरानी और अव्यवस्था का साम्राज्य है।
अल्टीमेटम : 7 दिन या सीएम हाउस का घेराव –विपक्ष अब आर-पार के मूड में है। कांग्रेस ने साफ चेतावनी दी है –
“अगर 7 दिनों के भीतर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई और उच्चस्तरीय जांच कमेटी नहीं बनी, तो हम मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे।”
रायपुर की सड़कों पर अब चौपाटी के नाम पर संग्राम छिड़ चुका है। क्या प्रशासन जागेगा या यह विवाद और उग्र रूप लेगा?




