
• आठवीं पास सहयोगी को निज सचिव बनाने की सिफारिश पर विभाग ने रोका कदम, मंत्री को भेजा पत्र…
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री राजेश अग्रवाल द्वारा अपने सहयोगी तबरेज आलम को निज सचिव पद पर संविदा नियुक्ति के लिए भेजी गई सिफारिश को सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने नियमों का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया है। विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि तबरेज आलम इस पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक अर्हता (हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण) पूरी नहीं करते।
29 अक्टूबर 2025 को सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय, नवा रायपुर द्वारा जारी पत्र में अवर सचिव मनराखन भौर्य ने मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है कि-
“छत्तीसगढ़ सचिवालय सेवा भर्ती नियम, 2012 के अनुसार तृतीय श्रेणी के निम्नतम पद (जैसे सचिवालय सहायक/स्टेनो टाइपिस्ट) के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (12वीं) परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। चूंकि श्री तबरेज आलम केवल पूर्व माध्यमिक परीक्षा (आठवीं) उत्तीर्ण हैं, इसलिए वे इस पद के लिए अर्ह नहीं हैं।”
पत्र में यह भी उल्लेख है कि मंत्रीजी द्वारा तबरेज आलम (पिता श्री इख़्तियार आलम), निवासी पटेलपारा, पुजारीढीह, जिला-बांधा (सरगुजा) को अपनी निजी स्थापना में निज सहायक के पद पर पदस्थ करने का निर्देश दिया गया था। विभाग ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार यह संभव नहीं है, इसलिए नियुक्ति प्रस्ताव पर कार्यवाही नहीं की जा सकती।
पत्र के अंत में अवर सचिव ने लिखा –
“अर्हता पूरी न होने के कारण उक्त पद पर उनकी पदस्थापना किया जाना संभव नहीं है। अतः मंत्रीजी को अवगत कराना आवश्यक समझा गया।”
सोशल मीडिया में वायरल हुआ मंत्रालय का पत्र : सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी यह पत्र अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे “योग्यता बनाम सिफारिश” का उदाहरण बताया है। पत्र सार्वजनिक होते ही यह मामला राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है।

कांग्रेस का बयान: “योग्यता नहीं, नज़दीकी है प्राथमिकता” : कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि भाजपा सरकार में योग्यता की नहीं, बल्कि नज़दीकी की कद्र होती है।
कांग्रेस की सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया है –
“भाजपा के वादों का सच – डिग्रीधारी युवा सड़कों पर हैं और आठवीं पास व्यक्ति को मंत्री के निजी कार्यालय में संविदा देने की सिफारिश की जा रही है। भाजपा सरकार वादों की नहीं, सिफारिशों की सरकार बन चुकी है।”
कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने भी कहा,
“जब सरकार योग्यता को दरकिनार कर सिफारिश के आधार पर पद बांटने लगे, तो इसे सुशासन नहीं कहा जा सकता।”
सरकारी हलकों में चर्चा, विपक्ष को मिला नया मुद्दा : मंत्रालय का यह पत्र सरकारी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह प्रकरण “नियमों से ऊपर सिफारिश संस्कृति” पर एक बार फिर सवाल खड़ा करता है।
भाजपा सरकार की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है।




