बालोद

शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा : भ्रष्टाचार के अंधेरे में डूबी गुरूर नगर पंचायत

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/गुरूर। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले की नगर पंचायत गुरूर में विकास की राह बाधित करने वाले भ्रष्टाचार और भूमि अतिक्रमण के गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि नगर के कुछ गैर-जिम्मेदार अधिकारी और भ्रष्ट जनप्रतिनिधि मिलकर शासकीय भूमि का दुरुपयोग कर रहे हैं और नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को जमीनें आबंटित कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। इस मामले ने नगर में तनाव बढ़ा दिया है और स्थानीय जनता में गहरी नाराजगी पनप रही है।

न्यायालय तहसीलदार गुरूर के राजस्व प्रकरण क्रमांक 202007240300005 में पारित आदेश के अनुसार, नगर पंचायत गुरूर के अध्यक्ष प्रदीप साहू ने शासकीय घांस भूमि जिसका खसरा नंबर 599 है, के 0.07 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 12.69 वर्ग मीटर जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान बना लिया। न्यायालय ने प्रदीप साहू को अर्थदंड के साथ अतिक्रमित भूमि से बेदखली का आदेश भी दिया, लेकिन अध्यक्ष ने इस आदेश को कचरे के डिब्बे में डाल दिया। उन्होंने अतिक्रमित जमीन खाली करने से इनकार कर प्रशासन को खुली चुनौती दे डाली।

प्रदीप साहू पर आरोप है कि वे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय भूमि को नियमों के विपरीत अपने समर्थकों के नाम करा रहे हैं। इसी तरह नगर के कुछ अधिकारी भी बिना उचित मंजूरी के जमीनों का आबंटन कर रहे हैं, जिससे नगर में अव्यवस्था फैली है। दूसरी ओर, प्रदीप साहू का कहना है कि उन्होंने इस मामले में अपर कलेक्टर बालोद से स्थगन प्राप्त कर रखा है, इसलिए वे भूमि खाली करने को तैयार नहीं हैं।

वहीं गुरूर नगर के शासकीय प्रयोजन युक्त भूमि पर डामन लाल पिता दाऊ लाल एवं गीता बाई को नगर पंचायत गुरूर के मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्रीनिवास पटेल ने अतिक्रमण (कथित आबंटन) करवाया है। उन्होंने किस अधिनियम एवं अधिकार के तहत अतिक्रमण करवाया है इसका जवाब श्रीनिवास पटेल ही दे सकते हैं! वहीं मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्रीनिवास पटेल से उनका पक्ष जानने उनके कार्यालय अलग–अलग तीन बार पहुंचे लेकिन वे उपलब्ध नहीं मिले।

जमीनी हकीकत और जनता की व्यथा 

नगर के आम जनता का कहना है कि भूमिहीन परिवार आज भी किराए के मकानों में जीवन यापन करने को मजबूर हैं और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए नगर पंचायत के चक्कर लगा रहे हैं। इसके बावजूद भ्रष्ट अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत के कारण जनता को आवास योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। वहीं, नगर अध्यक्ष स्वयं शासकीय भूमि पर कब्जा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

नगर पंचायत के नियम और उसकी अवहेलना 

नगर पंचायत/पालिका कानून के तहत मुख्य नगर पंचायत अधिकारी और अध्यक्ष को बिना परिषद की मंजूरी किसी भी भूमि का आबंटन करने का अधिकार नहीं होता। साथ ही किसी मकान या दुकान को तोड़ने-उजाड़ने का फैसला भी प्रक्रिया के तहत ही लिया जाना चाहिए। लेकिन यहां इन नियमो का उल्लंघन किया जा रहा है। अधिकारी और जनप्रतिनिधि मनमानी करते हुए बिना अनुमति जमीनें अपने समर्थकों को दे रहे हैं और जो लोग रिश्वत देने में असमर्थ हैं उनकी संपत्ति को अवैध घोषित कर उजाड़ रहे हैं।

“नगर में इस भ्रष्टाचार और मनमानेपन की वजह से आम जनता में भारी असंतोष और आक्रोश है।”

जरूरतमंद परिवार इस भ्रष्ट व्यवस्था से शासकीय लाभ से वंचित हैं और अपने छोटे-छोटे आशियानों का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इस पूरे प्रकरण ने नगर पंचायत गुरूर का माहौल तनावपूर्ण कर दिया है।

न्यायालय का आदेश और उसका विरोध 

तहसीलदार गुरूर के 25 मार्च 2021 के आदेश में प्रदीप साहू को अतिक्रमित भूमि खाली करने और अर्थदंड देने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अध्यक्ष ने इसे मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने उच्च अधिकारियों से स्थगन भी लिया। इस वजह से न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हो रहा है और इस पर सवाल उठ रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका 

नगर के विकास में निगरानी रखने वाले अधिकारी और जनप्रतिनिधि ही इस स्तर पर भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा रहे हैं। मुख्य नगर पालिका अधिकारी से जब शिकायत की गई तो वे लगातार उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जो कार्यवाही की संजीदगी पर प्रश्नचिह्न लगाती है।

आम जनता ने स्पष्ट किया है कि वे इस मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायालय और प्रशासन से न्याय की उम्मीद करते हैं। नगर पंचायत गुरूर में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे का मुद्दा स्थानीय विकास के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे की जांच करें, दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करें और आम जनता को उसके अधिकार दिलाने में मदद करें। साथ ही, भूमिहीन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ शीघ्र दिया जाए ताकि उनकी खुशहाली सुनिश्चित हो सके।

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग

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