
• कर्मचारियों से लेकर पार्षद तक महीनों से वेतन के मोहताज, विकास कार्य ठप…
पत्थलगांव। नगर पालिका आज आर्थिक बदहाली और कुप्रबंधन के दलदल में फंस चुकी है। हालात इतने गंभीर हैं कि कर्मचारियों से लेकर पार्षद तक महीनों से वेतन के लिए तरस रहे हैं। सफाई महिलाओं को मात्र 6 से 8 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है, पर वह भी महीनों से अटका पड़ा है। सवाल यह है कि जिस संस्था पर नगर की सफाई और विकास की जिम्मेदारी है, वह खुद आर्थिक दिवालियापन की कगार पर क्यों खड़ी है?
वेतनहीन व्यवस्था :
- पार्षदों का 5 महीने से मानदेय बकाया।
- प्लेसमेंट कर्मचारियों और सफाई कर्मियों का महीनों से वेतन भुगतान नहीं।
- रोज़ाना मजदूरी करने वाले गरीब कर्मचारी सबसे ज्यादा संकट में।
डीजल तक के लाले : नगर पालिका की गाड़ियां भी अब काम करने की हालत में नहीं हैं। पेट्रोल पंप संचालक महीनों से बकाया भुगतान के चलते डीजल देने से इनकार कर रहे हैं। मजबूरी में अगर डीजल मिलता भी है तो 20 लीटर की पर्ची पर सिर्फ 18 लीटर ही थमाया जाता है। हालत इतनी दयनीय है कि अगर वाहन पंचर हो जाए तो टायर रिपेयर करने वाला मैकेनिक तक उधारी में काम नहीं करता।
बदहाल व्यवस्था के असली कारण :
- आर्थिक कुप्रबंधन : नगर पालिका के पास कर्मचारियों का वेतन देने तक का बजट नहीं। राजस्व वसूली भी लगभग शून्य।
- सरकारी अनुदान की कमी : राज्य सरकार से मिलने वाली राशि का भुगतान समय पर नहीं होना।
- भ्रष्टाचार : अवैध निर्माण कार्यों पर पालिका की आंखें मूंदे रहने से लाखों की राजस्व हानि।
- विकास कार्यों का ठप होना : नगर की सफाई और नालों की निकासी न होने से किसानों की जमीन बर्बाद, खेत कृषि योग्य नहीं रहे।
- कर्मचारियों की भारी कमी : निर्माण इकाई में स्टाफ न होने से नगर की योजनाएं ठप।
बड़ा सवाल :
- क्या पत्थलगांव नगर पालिका पूरी तरह दिवालिया हो चुकी है?
- कर्मचारियों को कब मिलेगा उनका हक?
- नगरवासियों को विकास और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं से कब राहत मिलेगी?
अब जरूरी कदम : यदि समय रहते नगर पालिका प्रशासन ने राजस्व बढ़ाने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और राज्य सरकार से अनुदान लाने की ठोस पहल नहीं की, तो पत्थलगांव नगर पालिका का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।




