रात-दिन आतंक मचा रहे हाथी, 32 किसानों की फसल बर्बाद – जिले में 170 हाथियों की मौजूदगी, हर रात बढ़ रहा टकराव…

रायगढ़, 14 सितंबर। धरमजयगढ़ और रायगढ़ वनमंडल में हाथियों की बढ़ती संख्या अब किसानों और ग्रामीणों के लिए संकट बन गई है। शुक्रवार रात से शनिवार तक हाथियों का आतंक अलग-अलग रेंजों में जारी रहा। 32 किसानों की धान और टमाटर की फसलें रौंद दी गईं, वहीं एक ग्रामीण पर हमला होते-होते टल गया। हाथियों ने एक मकान की दीवार भी ढहा दी।
फसलें चौपट, ग्रामीण दहशत में : धरमजयगढ़ वनमंडल के लैलूंगा रेंज के सागरपाली गांव में हाथियों ने 6 किसानों की धान की फसल को नुकसान पहुंचाया। यहां एक ग्रामीण हाथी के पैरों तले आने से बाल-बाल बचा।
- बाकरूमा रेंज के रैरूमा गांव में 5 किसानों की धान और टमाटर की फसल चौपट हुई और एक मकान की दीवार गिरा दी गई।
- छाल रेंज के लोटान में 1 और पुरूंगा में 3 किसानों के खेत रौंदे गए।
- बोरो रेंज के चाल्हा में 1, घोंचल में 5, धरमजयगढ़ के आमापाली में 1 और मेढरमार में 6 किसानों के खेत नष्ट हुए।
उधर, रायगढ़ वनमंडल के घरघोड़ा रेंज के डेहरीडीह में विचरण कर रहे 48 हाथियों के झुंड ने 4 किसानों की फसल उजाड़ दी। इसके बाद दल छाल रेंज की ओर बढ़ गया।
सड़क पर उतरे 34 हाथी : शनिवार रात करीब 8 बजे लैलूंगा रेंज के झगरपुर में 34 हाथियों का दल बीच सड़क पर आ गया। स्थिति बिगड़ने से पहले वन विभाग की टीम और हाथी मित्र दल मौके पर पहुंचा। दोनों ओर से यातायात रोक दिया गया और दल को सुरक्षित पार कराया गया।
21 वर्षीय युवक की जान बाल-बाल बची : घरघोड़ा परिक्षेत्र के देउरमार गांव में 48 हाथियों का दल पहुंचा तो ग्रामीण शोर मचाकर उन्हें भगाने लगे। तभी एक हाथी उग्र होकर दौड़ पड़ा। इस अफरातफरी में पवन कुमार राठिया (21) गिर पड़ा। हाथी उस पर हमला करने ही वाला था कि वनकर्मियों ने वाहन का हूटर बजाकर उसे भगा दिया। युवक की जान बच गई और उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया।
जिले में 170 हाथियों का डेरा : वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में कुल 170 हाथी विचरण कर रहे हैं।
- धरमजयगढ़ वनमंडल में 153 हाथी
- रायगढ़ वनमंडल में 17 हाथी
इनमें 49 नर, 73 मादा और 48 शावक शामिल हैं। कुछ झुंड कापू रेंज से सरगुजा वनमंडल की ओर भी निकल गए हैं।
वन विभाग की मुनादी – सतर्क रहें ग्रामीण : लैलूंगा एसडीओ मकरलाल सिदार ने कहा कि प्रभावित गांवों में मुनादी करा दी गई है और आकलन टीम नुकसान का सर्वे कर रही है। हाथियों की मूवमेंट पर सतत नजर रखी जा रही है।
अब सवाल यह है कि हाथियों की बढ़ती संख्या और लगातार हो रहे फसलों के नुकसान से किसानों को कब तक राहत मिलेगी? क्या वन विभाग केवल मुनादी और सतर्कता से हालात संभाल पाएगा, या स्थायी समाधान की कोई ठोस योजना बनेगी?