मुख्यमंत्री के खुद के गांव में पंचायत बगिया बिफरी: 20 में से 16 पंचों का सामूहिक इस्तीफा, सरपंच पर तानाशाही का आरोप – सरकार पर कांग्रेस का सीधा वार???…

जशपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृहग्राम ग्राम पंचायत बगिया में स्थानीय शासन की जड़ें हिलाने वाली बड़ी घटना सामने आई है। 20 में से 16 पंचों ने एक साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, और इसके पीछे आरोप बेहद गंभीर हैं—सरपंच राजकुमारी द्वारा मनमानी, एकतरफा फैसले और विकास कार्यों को बंधक बनाना।
सोशल मीडिया पर सामूहिक इस्तीफे का वायरल पत्र सामने आते ही यह मामला पंचायत की सीमाओं से निकलकर राज्य की सियासत के बीचोंबीच जा पहुंचा है। कांग्रेस ने इसे मुख्यमंत्री के नेतृत्व की असफलता बताते हुए “ग्राम स्तर पर लोकतंत्र की हत्या” करार दिया है।

पंचों का आरोप: “सरपंच चलाती हैं पंचायत, हम सिर्फ दिखावे के लिए” : इस्तीफा देने वाले पंचों ने आरोप लगाया है कि –
- सरपंच पंचों की राय को नज़रअंदाज़ कर फैसले थोप रही हैं,
- विकास कार्यों के नाम पर फाइलें ठप पड़ी हैं,
- पंचायत की बैठकों से लेकर योजनाओं के क्रियान्वयन तक पूरी प्रक्रिया एकतरफा कर दी गई है।
पंचों का साफ कहना है- “ऐसे माहौल में पंचायत नहीं, केवल सरपंच की मनमानी चल रही है।”
गांव में बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कई काम ठप हैं, जिससे सामान्य जनता में भी भारी नाराज़गी है।
राजनीतिक तूफान: कांग्रेस ने सरकार को घेरा : जैसे ही इस्तीफे का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोल दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि –
- मुख्यमंत्री के अपने इलाके में ही स्थानीय लोकतांत्रिक ढांचा चरमरा गया,
- पंचायत व्यवस्था पूरी तरह से सरकार की लापरवाही में डूब चुकी है,
- जनता के काम ठप हैं और सरकार इस अराजकता को रोकने में नाकाम है।
कांग्रेस ने इसे सीधा-सीधा “विष्णुदेव साय मॉडल ऑफ गवर्नेंस” की पोल खोलने वाला मामला बताया है।
ग्राम पंचायती व्यवस्था पर बड़ा सवाल : बगिया पंचायत में एक साथ 16 पंचों के इस्तीफे ने छत्तीसगढ़ की पंचायत राज व्यवस्था पर कई गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं—
- क्या गांवों में लोकतांत्रिक संचालन अब केवल औपचारिकता बनकर रह गया है?
- क्यों सरकार पंचायतों में बढ़ते असंतोष को लेकर मौन है?
- क्या अधिकारी–सरपंच गठजोड़ स्थानीय प्रतिनिधियों को दरकिनार कर रहा है?
यह मामला सिर्फ एक गांव का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था की हालत का आईना है।
पंचायत की लड़ाई सियासत तक पहुंची, समाधान की मांग तेज : बगिया पंचायत में पंचों का सामूहिक इस्तीफा केवल एक प्रशासनिक घटना नहीं, बल्कि स्थानीय लोकतंत्र के ध्वस्त होने का सीधा प्रमाण बनकर सामने आया है। जहाँ एक ओर जनता विकास कार्यों के ठप होने से परेशान है, वहीं दूसरी ओर सरकार और पंचायत प्रशासन पर विश्वास का संकट गहरा चुका है।
अब सवाल साफ है-क्या सरकार तुरंत दखल देकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुनः पटरी पर लाएगी या बगिया पंचायत राज्य की प्रशासनिक विफलता का नया उदाहरण बन जाएगी?




