कोरबा : दिवाली पर मजदूर को तोहफा बना बाउंस चेक – मेडिकल कॉलेज निर्माण में ठेकेदार की शर्मनाक करतूत उजागर…

कोरबा। जिले के निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले एक दिव्यांग मजदूर नरेश कुमार रोहिदास के साथ ठेकेदार ने ऐसा व्यवहार किया, जिसने मजदूरों की हालत और ठेकेदारों की मनमानी दोनों को बेनकाब कर दिया है। मेहनताना के नाम पर नरेश को दीपावली से पहले ₹15 हजार का चेक दिया गया, जो बाद में बाउंस हो गया। इतना ही नहीं, जब उन्होंने अपना हक मांगा तो धमकियां मिलने लगीं।
दिव्यांग मजदूर से छल – मेहनत की जगह मिला अपमान : नरेश कुमार रोहिदास, जो एक पैर से निशक्त हैं, बीते छह महीनों से अपनी पत्नी के साथ कोरबा के निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में मजदूरी कर रहे थे। दीपावली के मौके पर जब उन्होंने ठेकेदार से अपनी मेहनत की मजदूरी मांगी, तो ठेकेदार ने उन्हें ₹6,000 नकद और ₹9,750 का चेक थमा दिया। मगर, जब नरेश बैंक पहुंचे, तो वहां से खबर मिली – “खाते में रकम नहीं है।” चेक बाउंस हो चुका था।
ब्रीज एंड रूफ कंपनी पर ठेकेदार की मनमानी : यह मेडिकल कॉलेज सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की एक 324 करोड़ रुपए की परियोजना है, जिसे कोलकाता की सरकारी संस्था ब्रीज एंड रूफ कंपनी को सौंपा गया है। लेकिन ज़मीन पर काम देखने वाले ठेकेदारों की लापरवाही और मजदूरों के प्रति उत्पीड़न ने इस परियोजना की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मजदूर पहुंचा थाने, ठेकेदार से मिली धमकी : अपना हक मांगने पर नरेश और उनकी पत्नी को धमकियां मिलने लगीं। मजबूर होकर दोनों सिविल लाइन थाना पहुंचे और लिखित शिकायत दी। थाना प्रभारी प्रमोद डनसेना ने बताया कि यह मामला रजगामार चौकी क्षेत्र का है, इसलिए रिपोर्ट संबंधित चौकी को भेज दी गई है।
सवाल उठता है – क्या यही है “विकास” का चेहरा? : जिस मेडिकल कॉलेज में करोड़ों रुपए बहाए जा रहे हैं, वहां दिव्यांग मजदूरों को मेहनताने की जगह बाउंस चेक और धमकी मिल रही है। दीपावली पर मजदूरों के घर में दीया जलने से पहले ही ठेकेदारों की बेरहमी ने अंधेरा फैला दिया है।
यह सिर्फ नरेश का मामला नहीं, बल्कि उन तमाम मजदूरों की आवाज़ है जो अपने अधिकारों की कीमत अपमान में चुका रहे हैं।
क्या प्रशासन अब भी चुप रहेगा?
क्या ठेकेदारों की मनमानी पर नकेल कसी जाएगी?
या फिर सरकारी ठेकों में मजदूरों की मेहनत यूं ही “बाउंस” होती रहेगी?




