SECL कर्मी पर आदिवासी युवती से ठगी और शोषण का आरोप – न्याय के लिए भटक रही पीड़िता, पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल…

बिलासपुर/कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के एक कर्मचारी दीनदयाल गुप्ता पर एक आदिवासी युवती ने नौकरी दिलाने के नाम पर दो लाख रुपये की ठगी और शारीरिक शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। न्याय न मिलने से व्यथित पीड़िता अपने परिजनों के साथ अब पुलिस महानिरीक्षक (IG) बिलासपुर रेंज के पास गुहार लगाने पहुंची है।
नौकरी का झांसा, दो लाख की ठगी और शोषण का प्रयास : पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि 20 मार्च 2025 को उसकी मुलाकात SECL कर्मी दीनदयाल गुप्ता से हुई थी। गुप्ता ने उसे SECL में नौकरी दिलाने का झांसा दिया और पाँच लाख रुपये की मांग की। भरोसा करते हुए युवती ने दो लाख रुपये नकद दीनदयाल को दे दिए, लेकिन न तो नौकरी लगी और न ही पैसे वापस मिले। जब युवती ने अपने पैसे लौटाने की मांग की, तो आरोपी ने उसे धमकाया और कथित रूप से जबरदस्ती करने की कोशिश की। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि दीनदयाल ने उसे एक रात अपने साथ रहने का प्रस्ताव दिया, और जब उसने मना किया, तो उसने उसके साथ दुराचार का प्रयास किया।
SP कार्यालय में शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं : पीड़िता ने बीते माह इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दर्ज कराई थी, लेकिन अब तक न तो प्राथमिकी (FIR) दर्ज हुई और न ही किसी स्तर पर जांच प्रारंभ हुई है। निराश होकर अब उसने पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के समक्ष आवेदन देकर निष्पक्ष जांच और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की है।
आखिर SECL कर्मी पर इतनी मेहरबानी क्यों? – स्थानीय सामाजिक संगठनों और आदिवासी जनप्रतिनिधियों ने पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब मामला एक आदिवासी युवती के सम्मान और ठगी से जुड़ा है, तो पुलिस की चुप्पी संदेह पैदा करती है। आखिर एक सरकारी उपक्रम के कर्मचारी पर इतनी “मेहरबानी” क्यों? क्या प्रभावशाली नेटवर्क के दबाव में पुलिस कार्रवाई से बच रही है?
न्याय की आस में दर-दर भटक रही पीड़िता : पीड़िता ने बताया कि उसने नौकरी की उम्मीद में अपनी पूरी जमा पूंजी दीनदयाल को दे दी थी, लेकिन अब वह आर्थिक रूप से टूट चुकी है और न्याय की आस में दर-दर भटक रही है। “अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं आत्महत्या करने को मजबूर हो जाऊंगी,” – IG कार्यालय में आवेदन देते समय युवती ने यह कहते हुए अपनी व्यथा व्यक्त की।
अब देखने वाली बात यह है कि बिलासपुर रेंज की पुलिस इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई करती है या फिर एक और आदिवासी बेटी की आवाज़ सिस्टम की दीवारों में दबा दी जाएगी।




