बलरामपुर

43 साल पुराने बांध की लापरवाही से तबाही: 5 की मौत, दो लापता ; बलरामपुर हादसे ने खोली सिस्टम की पोल, 17 साल से नहीं हुई थी मरम्मत…

बलरामपुर। जिले में प्रशासनिक लापरवाही और जल संसाधन विभाग की उदासीनता ने मंगलवार की रात भयावह त्रासदी को जन्म दिया। 43 साल पुराना साड़सा लुत्ती बांध अचानक टूट गया, जिसने देखते ही देखते निचले इलाके को जलसमाधि में बदल दिया। इस हादसे में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दो लोग अभी भी लापता हैं। मृतकों में एक ही परिवार के चार सदस्य और उनकी मासूम बच्ची शामिल है।

रिसाव की चेतावनी को भी अनदेखा : ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि बांध से दो दिन पहले ही पानी का रिसाव शुरू हो गया था, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया। 1982 में बना यह बांध पूरी तरह मिट्टी का है, जिसकी 2007-08 के बाद कोई मरम्मत नहीं की गई। यानी पूरे 17 साल से विभाग आंख मूंदे बैठा रहा

रात 11 बजे टूटा 35 मीटर बांध : मंगलवार रात करीब 11 बजे धनेशपुर गांव में बांध का 35 मीटर हिस्सा टूटा और पानी रिहायशी इलाकों की ओर दौड़ पड़ा।

  • बतशिया (61), चिंता (35), रजंती (28) और 6 वर्षीय प्रिया की मौके पर मौत हो गई।
  • रजंती का बेटा कार्तिक (6) का शव गुरुवार सुबह नाले में मिला।
  • तीन वर्षीय वंदना सिंह और 65 वर्षीय जितन खैरवार की तलाश अभी भी जारी है।

तबाही का मंजर : बांध के टूटने से चार घर पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गए।

  • 200 एकड़ धान और टमाटर की फसल बर्बाद हो गई।
  • 55 बकरियां, 5 गाय और 4 बैल बह गए।
  • PMGYSY की सड़क और दो पुलिया बह गईं।

विभाग ने टाल दी जिम्मेदारी : जल संसाधन विभाग के ईई एनपी डहरिया का बयान और भी चौंकाने वाला है। उनका कहना है कि “भारी बारिश के दबाव से बांध ओवरफ्लो होकर टूटा है।” जबकि सच्चाई यह है कि 2020-21 में मरम्मत का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन शासन से स्वीकृति ही नहीं ली गई। सवाल यह है कि स्थानीय स्तर पर तत्काल मरम्मत की पहल क्यों नहीं हुई?

राजनीतिक हलचल और संवेदनाएं :

  • कृषि मंत्री रामविचार नेताम घटनास्थल पर पहुंचे और मुआवजे का आश्वासन दिया।
  • मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया पर शोक संवेदना जताई और हरसंभव मदद का भरोसा दिया।
  • पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह ने साफ कहा कि यह हादसा विभागीय लापरवाही का नतीजा है।

खतरे में अन्य बांध : बलरामपुर जिले में इस साल औसत से 59% अधिक बारिश दर्ज की गई है। कई बांध ओवरफ्लो हो रहे हैं और सरईपानी बांध भी टूटने की कगार पर है। प्रशासन ने ग्रामीणों को सतर्क कर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि जब लुत्ती बांध जैसे पुराने बांधों की हालत पहले से खराब थी तो क्यों समय रहते कार्रवाई नहीं हुई?

👉 यह हादसा सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानव निर्मित त्रासदी है।
👉 अगर सिस्टम ने चेतावनी को गंभीरता से लिया होता तो आज 5 मासूम जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!