महामाया माइंस सड़क पर दंतैल हाथी की अचानक दस्तक, लगातार निगरानी में चूक रहा वन विभाग

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। जिले के डौंडी तहसील अंतर्गत वनाच्छादित क्षेत्र में महामाया माइंस की सड़क पर दंतैल हाथी की अचानक उपस्थिति, वन विभाग की लापरवाही पर सवाल खड़े कर गई है। दिनांक 08 सितंबर 2025 को बालोद जिले के दल्ली राजहरा स्थित महामाया माइंस जाने वाली सड़क पर सुबह-सुबह लौह अयस्क ले जा रहे वाहन चालकों के सामने अचानक दंतैल हाथी आ गया। यह हाथी नलकसा और कुमुड़कट्टा गांव से होता हुआ बोईरडीह डेम के पास पहुंचा, जिससे स्थानीय ग्रामीण दहशत में आ गए। वाहन चालक ने समझदारी दिखाते हुए ट्रक पीछे कर हाथियों को रास्ता दिया, जिससे किसी तरह का हादसा टल गया।
एक पीछे से आने वाले ट्रक चालक ने इस घटना का वीडियो भी मोबाइल में रिकॉर्ड किया, जिससे वन विभाग के अधिकारियों को हाथियों की मौजूदगी पता चली, अन्यथा विभाग को जानकारी तक नहीं मिल पाती। आपको बता दें कि महामाया माइंस जाने वाले स्थान पर डौंडी तथा दल्ली राजहरा वन परिक्षेत्र की सीमाएं पड़ती है। राहगीरों और ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी कभी कभार ही दिखाई देते है।
वन विभाग की भूमिका और नियम
छत्तीसगढ़ वन विभाग के नियमों के तहत वन क्षेत्रों में वन्यजीवों और स्थानीय आबादी की सुरक्षा के लिए सतत निगरानी और नियमित गश्ती करना आवश्यक है। वन्यजीवों के आवागमन की मॉनिटरिंग से मानव-वन संघर्ष को कम किया जा सकता है। विभाग को यह सुनिश्चित करना होता है कि वन रक्षक और निगरानी टीम पूरे क्षेत्र में सक्रिय रहे।
हालांकि इस घटना से स्पष्ट होता है कि विभाग क्षेत्र में निगरानी प्रणाली में नाकाफी है और हाथियों के आवागमन पर नजर रखने में चूक हुई। अधिकारियों और वनकर्मियों की इस सुस्ती से वन्यजीवों के संरक्षण और मानव सुरक्षा दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
अधिकारियों पर कार्यवाही और सुधार
इस लापरवाही के मामलों को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग ने संबंधित जिला अधिकारियों और कर्मियों पर विभागीय जांच शुरू की बात कही जा रही है। उनमें से कई पर अनुशासनहीनता का दोष तय होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। निदेशालय ने कर्मचारियों को सतर्क रहने, वन क्षेत्रों में लाइव निगरानी बढ़ाने और सूचना देने के लिए नए नियम एवं तकनीकी उपाय लागू करने के निर्देश जारी किए हैं।
इसके साथ ही, वन विभाग ने मोबाइल-आधारित रिपोर्टिंग और कैमरा जाल (कैमरा ट्रैप) लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का समय रहते पता चल सके।
समाज और वन्यजीवों के बीच संघर्ष
आसान नहीं है वन व मानव के बीच तालमेल बिठाना। जंगलों के सिकुड़ने और मनुष्यों के गांव-शहर के निकट आने से वन्यजीवों का आवास सीमित हुआ है। ऐसे में वन्य जीवन का आवागमन गाँव-शहर की ओर होना सामान्य है, पर इसे सुरक्षित और विनम्र तरीके से किया जाना चाहिए।
इस घटना ने छत्तीसगढ़ वन विभाग की लापरवाही और निगरानी में कमी की पोल खोल दी है। स्थानीय जनता की चिंता को संभालना और वन्यजीवों की रक्षा करना दोनों ही विभाग की जिम्मेदारी है।
महामाया माइंस क्षेत्र में यह घटना चेतावनी है कि वन क्षेत्र की सतत निगरानी में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। उचित समय पर कार्यवाही और सख्त निगरानी के बिना वन्य जीवों और ग्रामीणों की सुरक्षा संभव नहीं। अधिकारियों को सचेत होकर क्षेत्रीय व्यवस्थाओं को सुधारना होगा, वर्ना मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ता रहेगा।