तेल फैक्ट्री का डंप यार्ड आग का धुआंधार मैदान बना – टायरों की राख में तब्दील हुई लाखों की सामग्री, बड़ा हादसा टला…

रायपुर। धरसींवा थाना क्षेत्र के सिलतरा चौकी में गुरुवार सुबह तेल फैक्ट्री जेसी रिक्लेमेशन का डंप यार्ड मौत का धुआंधार मैदान बन गया। सुबह 10:30 बजे अचानक उठी लपटों ने टायरों के पहाड़ जैसे ढेर को चंद मिनटों में आग के समंदर में बदल दिया। देखते ही देखते 3 किलोमीटर दूर तक आसमान काले धुएं से भर गया और पूरा इलाका दहशत में आ गया।
टायर बने आग के ईंधन : डंप यार्ड में बेतहाशा तरीके से फेंके गए पुराने टायर आग के लिए बारूद साबित हुए। टायरों ने लपटों को हवा दी और धुआं ऐसा उठा कि सूरज की रोशनी तक गायब हो गई।
तेल के स्टोरेज से बाल-बाल बचा इलाका : खौफनाक ये था कि फैक्ट्री में ठीक पास ही तेल का विशाल स्टोरेज टैंक मौजूद था। अगर आग की लपटें उस तक पहुंच जातीं तो सिलतरा इलाके में विनाश का मंजर खड़ा हो जाता।
2 घंटे की जद्दोजहद के बाद आग काबू में : गोदावरी और सारडा प्लांट से बुलाई गई फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने दो घंटे की अथक मशक्कत के बाद आग की रफ्तार थामी। दमकल कर्मियों की सूझबूझ से फैक्ट्री का मुख्य हिस्सा और तेल टैंक बचा, वरना हालात भयावह हो सकते थे।
शॉर्ट सर्किट की आशंका, जांच जारी : पुलिस के मुताबिक आग शॉर्ट सर्किट से भड़की हो सकती है। चौकी प्रभारी राजेंद्र कंवर ने बताया कि फैक्ट्री के मजदूरों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया, जिससे जनहानि नहीं हुई। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
लापरवाही या हादसा? – सबसे बड़ा सवाल यही है कि फैक्ट्री के डंप यार्ड में इतने बड़े पैमाने पर टायरों का ढेर आखिर किसकी लापरवाही से पड़ा था? क्या फैक्ट्री प्रबंधन ने सुरक्षा मानकों को ताक पर रखा था? यह जांच का विषय है।
सिलतरा का यह हादसा चेतावनी है कि उद्योगों की सुरक्षा व्यवस्थाओं में जरा सी चूक भी पूरे इलाके को आग के गोले में बदल सकती है।



