जशपुर जनसंपर्क विभाग की नियुक्तियों पर उठे गंभीर सवाल, वहीं पत्रकारों की पेंशन दोगुनी कर CM विष्णुदेव साय ने जीता दिल…

जशपुर। जिले का जनसंपर्क विभाग इन दिनों बड़े विवादों के घेरे में है। सहायक संचालक नूतन सिदार की नियुक्ति को लेकर पारदर्शिता और नियमों की धज्जियां उड़ाने के आरोप गहराते जा रहे हैं। पत्रकार ऋषिकेश मिश्रा ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विभाग से पूरी फाइल मांगी है। इसमें नियुक्ति पत्र, सेवा पुस्तिका, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, चयन प्रक्रिया से जुड़े अभिलेख, विज्ञापन, आदेश-पत्र और सत्यापन रिपोर्ट शामिल हैं।

RTI आवेदन ने सीधे-सीधे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह जांच साफ करेगी कि नियुक्ति वास्तव में नियम और पात्रता के आधार पर हुई थी या राजनीतिक संरक्षण और अफसरशाही की मिलीभगत से नियमों को दरकिनार कर पदस्थापना की गई।
सूत्र बताते हैं कि विभाग के अंदरूनी हलकों में इस नियुक्ति को लेकर पहले से ही कानाफूसी थी। RTI के जरिए पूरी फाइल सामने आते ही यह मामला जशपुर से निकलकर रायगढ़ और प्रदेश स्तर तक सुर्खियों में आ गया है। यदि नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता साबित होती है तो यह सिर्फ एक अधिकारी की नियुक्ति का मसला नहीं रहेगा, बल्कि पूरे जनसंपर्क विभाग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर करारा तमाचा होगा।

इसी बीच पत्रकारों के लिए राहत की खबर : दूसरी ओर पत्रकारों के लिए राहत की बड़ी खबर आई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने वरिष्ठ मीडियाकर्मी सम्मान निधि को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रतिमाह करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस कदम का जशपुर प्रेस क्लब ने स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रेस क्लब ने अपने ज्ञापन में कहा कि यह निर्णय उन वरिष्ठ पत्रकारों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जो सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक कठिनाइयों से जूझते हैं। पत्रकारिता एक चुनौतीपूर्ण और जोखिमभरा क्षेत्र है, जहां सत्य को सामने लाने के लिए पत्रकार अपनी सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता तक दांव पर लगा देते हैं। ऐसे में सरकार का यह फैसला न केवल पत्रकारों की गरिमा बढ़ाने वाला है, बल्कि उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला भी है।
जशपुर की दो तस्वीरें—भ्रष्ट नियुक्ति की स्याही और पत्रकारों की जीत की रोशनी जशपुर इन दिनों दो बिल्कुल अलग तस्वीरों का गवाह बन रहा है। एक ओर विभागीय नियुक्तियों में अपारदर्शिता और नियमों के उल्लंघन पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पत्रकारों की पेंशन दोगुनी कर मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सम्मान देने की मिसाल पेश की है।
अब देखना यह होगा कि जनसंपर्क विभाग अपनी नियुक्तियों पर उठे सवालों का पारदर्शी जवाब देता है या RTI से उपजे इस तूफान को दबाने की कोशिश की जाती है।
फिलहाल प्रदेशभर में चर्चा यही है कि पत्रकारों के लिए पेंशन वृद्धि का फैसला ऐतिहासिक है, लेकिन जशपुर जनसंपर्क विभाग की नियुक्तियों पर उठे सवाल सत्ता और सिस्टम की साख का सबसे बड़ा इम्तिहान बनने जा रहे हैं।