सर्पदंश से मासूम की मौत: पहाड़ी कोरवा समाज की बदहाली और स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुली

सरगुजा। आदिवासी अंचल में एक और मासूम ने स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण दम तोड़ दिया। उदयपुर विकासखंड के खर्रानगर स्थित ग्राम शीतकालो की 4 वर्षीय पहाड़ी कोरवा बच्ची अल्मा कोरवा, पिता रोशन कोरवा की सोमवार तड़के सर्पदंश से मौत हो गई।
घटना रात करीब 4 बजे की है, जब अल्मा अपनी दादी के साथ जमीन पर सो रही थी। तभी जहरीले सांप ने उसे काट लिया। बच्ची ने परिजनों को बताया कि उसे कुछ काटा है, लेकिन आसपास स्वास्थ्य सुविधा न होने और एंबुलेंस सेवा समय पर उपलब्ध न होने के कारण परिवार को 40 किलोमीटर दूर उदयपुर अस्पताल तक खुद ही ले जाना पड़ा। रास्ते में कीमती वक्त गंवाने के बाद जब बच्ची को अस्पताल लाया गया, तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बच्ची की मौत का असली कारण – स्वास्थ्य व्यवस्था की दूरी : मासूम की मौत ने पहाड़ी कोरवा समाज की बदहाली और स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत को उजागर कर दिया है।
- क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और चिकित्सीय स्टाफ न होने से लोग अक्सर असमय मौत के शिकार हो रहे हैं।
- जहरीले सर्पदंश जैसी आपात स्थिति में एंटी-वेनम दवा तक उपलब्ध नहीं कराई जाती।
- पहाड़ी कोरवा जैसी विशेष संरक्षित जनजाति आज भी जीवन-मृत्यु से जूझ रही है, लेकिन सरकारी दावों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाएँ धरातल पर नदारद हैं।
एक मासूम की मौत – कई सवाल :
- आखिर क्यों आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा अब तक नहीं पहुँच पाई?
- क्यों हर बार आदिवासी बच्चों और महिलाओं को ही ‘सिस्टम की दूरी’ की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है?
- क्या प्रशासन केवल मौत के बाद कागजी कार्रवाई तक सीमित रहेगा?
अल्मा कोरवा की मौत सिर्फ एक बच्ची की मौत नहीं, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन के लिए एक कड़ा सवाल है – क्या पहाड़ी कोरवा जैसी विशेष जनजाति के जीवन का कोई मूल्य नहीं?