रायगढ़

रायगढ़ पुलिस पर सवाल : अडानी के गुर्गों पर कार्रवाई से खामोशी, पत्रकार और ग्रामीण दोनों निशाने पर…

रायगढ़। अडानी समूह की कोयला खनन परियोजनाओं को लेकर रायगढ़ एक बार फिर सुलग रहा है। महाजेंको से एमडीओ लेकर कोयला खनन का ठेका हासिल करने वाली अडानी कंपनी न केवल ग्रामीणों की जमीन-जंगल पर कब्ज़ा करने में लगी है, बल्कि अब पत्रकारों और विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाने के लिए अपने गुर्गों के जरिए खुलेआम गुंडागर्दी कर रही है।

पत्रकारों को धमकाने वाले अडानी के गुर्गे : 6 अगस्त को कलेक्ट्रेट परिसर में अडानी समर्थक गुर्गों ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी की और खुलेआम जान से मारने की धमकी दी। घटना की शिकायत तुरंत ही चक्रधर नगर थाने में दर्ज कराई गई और पत्रकारों ने एसपी से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग भी की। लेकिन 25 दिन बीतने के बाद भी पुलिस ने न तो आरोपियों को गिरफ्तार किया और न ही कोई ठोस कार्रवाई की। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हुए इस हमले को लेकर पुलिस की चुप्पी अब सीधे-सीधे संदेह के घेरे में है।

जंगल कटाई में प्रशासन की मिलीभगत : याद रहे कि जुलाई के पहले सप्ताह में तमनार के मुड़ागांव जंगल की कटाई के दौरान रायगढ़ पुलिस ने आसपास के जिलों से भारी फोर्स मंगाकर गांव को छावनी में तब्दील कर दिया था। ग्रामीणों को जंगल में प्रवेश तक नहीं दिया गया और अडानी कंपनी को खुली छूट दी गई। पुलिस की भूमिका साफ संकेत देती है कि प्रशासन जनता की बजाय कंपनी के हित साधने में जुटा है।

पूर्व सीएम का रास्ता रोकने वाले वही गुर्गे :  मुड़ागांव में जंगल बचाने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रास्ते में रोकने वाले लोग वही थे जिन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में पत्रकारों को धमकाया था। उस दिन सड़क पर गाड़ी खराब होने का बहाना बनाकर उनका रास्ता रोका गया। यही लोग बाद में कलेक्टर से “स्वेच्छा से जंगल-कटाई के समर्थन” का नाटक करने भी पहुंचे। साफ है, अडानी कंपनी ने ग्रामीणों के भेष में अपने खास गुर्गों को खड़ा कर रखा है, जो विरोध-प्रदर्शन को कमजोर करने और प्रशासन के सामने नकली समर्थन दिखाने का काम करते हैं।

ग्रामीणों में दहशत, प्रशासन चुप :  तमनार क्षेत्र की 9 ग्राम पंचायतों के 14 गांव पूरी तरह खौफ़जदा हैं। जो भी आवाज उठाता है, उसे या तो पुलिस के सहयोग से दबा दिया जाता है या फिर अडानी के गुर्गे रास्ता रोककर डराने-धमकाने लगते हैं। रायगढ़ पुलिस की यह खामोशी अब “सहयोग” से कम नहीं लग रही।

सवाल सीधा है :

  • क्या रायगढ़ पुलिस अडानी के दबाव में काम कर रही है?
  • क्या पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों की आवाज़ उठाना अब अपराध है?
  • और क्या जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा करने वालों को प्रशासनिक शक्ति से कुचलने की साज़िश खुलेआम हो रही है?

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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