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Income Tax Bill 2025: लोकसभा स्पीकर ने चयन समिति गठित की, भाजपा सांसद बैजयंत पांडा को चुना अध्यक्ष…

नई दिल्ली। 14 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे चयनित समिति (Select Committee) को सौंपने का अनुरोध किया। अब, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस विधेयक की जांच के लिए एक 31 सदस्यीय चयनित समिति का गठन किया है। इस समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता और ओडिशा के केंद्रपाड़ा से सांसद बैजयंत पांडा।

समिति के प्रमुख सदस्य : इस समिति में कई प्रमुख नाम शामिल हैं, जैसे: – झारखंड के भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे – कर्नाटक के भाजपा सांसद जगदीश शेट्टर – राजस्थान के भाजपा सांसद पी.पी. चौधरी – हरियाणा के कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा – पश्चिम बंगाल की TMC सांसद महुआ मोइत्रा – महाराष्ट्र की NCP(SP) सांसद सुप्रिया सुले

विधेयक पर विपक्ष का विरोध : 13 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया था। विपक्ष ने विधेयक के पेश होते ही इसका विरोध किया, लेकिन घरेलू मतदान (voice vote) के माध्यम से इसकी पेशगी को मंजूरी मिल गई। वित्त मंत्री के अनुरोध पर अध्यक्ष ओम बिरला ने चयनित समिति का गठन किया है। यह समिति अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करने की उम्मीद है।

नए आयकर विधेयक के प्रमुख बिंदु

1. पुराने कानून का प्रतिस्थापन: इस विधेयक में छह दशक पुराने आयकर कानून के 298 धाराओं और 14 अनुसूचियों को प्रतिस्थापित किया जाएगा। – नया कानून 622 पृष्ठों में 526 धाराओं, 23 अध्यायों और 16 अनुसूचियों में संगठित किया गया है।

2. ‘कर वर्ष’ की नई परिभाषा: विधेयक में ‘कर वर्ष’ की नई अवधारणा शामिल की गई है, जो 1 अप्रैल से शुरू होने वाला 12-माह का कालांतर होगा। – वर्तमान ‘पूर्ववर्ती वर्ष’ और ‘आकलन वर्ष’ की अवधारणा को प्रतिस्थापित किया जाएगा।

3. लागू होने की तिथि: नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा, जिससे पहले इसे स्थायी समिति द्वारा जांचा और संसद द्वारा पारित किया जाएगा।

4. अनावश्यक धाराओं का विलोपन: फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (FBT) जैसी अनावश्यक धाराओं को हटा दिया गया है।

5. पठनीयता में सुधार: विधेयक में ‘व्याख्या’ और ‘प्रविधिकार’ को हटाकर छोटे वाक्यों का उपयोग किया गया है। – टेबल और सूत्रों का उपयोग करके टैक्स डिडक्शन (TDS), प्रीसम्प्टिव टैक्सेशन, वेतन और बैड डेब्ट पर प्रावधान सरल बनाए गए हैं। 6. ‘करदाता चार्टर’: – विधेयक में ‘करदाता चार्टर’ शामिल किया गया है, जो करदाताओं के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है।

अगले कदम : चयनित समिति को अब विधेयक की विस्तृत जांच करनी है और अगले सत्र में अपनी सिफारिशें पेश करनी हैं। इसके बाद, विधेयक पर संसद में चर्चा होगी और अंतिम रूप से मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इस विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों के बीच चर्चा और विवाद जारी है, जबकि सरकार इसे सरल और पारदर्शी करने का दावा कर रही है।

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