CGMSC में करोड़ों का महाघोटाला : सरकारी खरीद में खुला भ्रष्टाचार का पिटारा, EOW ने 5 अफसरों को दबोचा…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाने वाले मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) में 411 करोड़ का महाघोटाला उजागर हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण (EOW) की बड़ी कार्रवाई में पांच वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इन अफसरों ने सिर्फ 27 दिनों में 750 करोड़ रुपये की खरीदारी कर सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया।

भ्रष्टाचार की बानगी : 8 रुपये की ट्यूब 2,352 रुपये में खरीदी : ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जरूरत से ज्यादा मेडिकल उपकरण और सामग्री खरीदी गई, वो भी कई गुना ज्यादा कीमत पर।
- 8 रुपये की ब्लड टेस्ट ट्यूब 2,352 रुपये में खरीदी गई।
- 5 लाख रुपये की मशीन 17 लाख रुपये में खरीदी गई।
- 300 करोड़ के रीएजेंट खरीदे गए, जिनका कोई उपयोग नहीं हुआ।
गिरफ्तार हुए ये 5 अफसर : EOW ने जिन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, उनमें CGMSC के दो महाप्रबंधक, एक बायोमेडिकल इंजीनियर और स्वास्थ्य विभाग के स्टोर इंचार्ज शामिल हैं।
- बसंत कुमार कौशिक (महाप्रबंधक, उपकरण)
- कमलकांत पाटनवार (महाप्रबंधक, उपकरण)
- दीपक कुमार बांधे (बायोमेडिकल इंजीनियर)
- छिरोद रावटिया (स्वास्थ्य विभाग)
- डॉ. अनिल परसाई (स्टोर इंचार्ज, स्वास्थ्य विभाग)
इन अफसरों को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें रिमांड पर भेज दिया गया है।
इस घोटाले की आंच राज्य के बड़े अधिकारियों और नेताओं तक पहुंच सकती है। EOW की जांच में कुछ और नाम सामने आने की संभावना है। सवाल उठ रहा है कि क्या सिर्फ ये पांच अफसर ही जिम्मेदार हैं, या कोई ‘बड़ा खेल’ चल रहा था?
स्वास्थ्य सेवाओं में घोटाले से जनता में आक्रोश : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। सरकारी अस्पतालों में दवा तक नहीं मिलती, लेकिन अफसरों ने भ्रष्टाचार की दुकान खोलकर जरूरत से ज्यादा खरीदारी कर डाली। ये घोटाला सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है।
क्या होगी अगली कार्रवाई : EOW अब इस घोटाले की परतें खोलने में जुटी है। क्या सरकार दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा? यह देखने वाली बात होगी। आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।