रायपुर

तिल्दा-नेवरा : धूल से सनी सड़कें बनीं समस्या का कारण, डिवाइडर निर्माण भी आज तक अधूरा…


तिल्दा नेवरा। नगर के मुख्य मार्ग पर सड़क चौड़ीकरण और डिवाइडर निर्माण का कार्य लंबे समय से अधूरा पड़ा है। इसकी वजह से नगरवासियों को धूल और यातायात जाम जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य मार्ग पर भारी वाहनों के आवागमन के चलते धूल के गुबारों ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि नागरिकों को सांस लेने और पैदल चलने में भी परेशानी हो रही है।

धूल से बढ़ रहीं स्वास्थ्य समस्याएँ : स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क निर्माण में देरी के कारण हवा में उड़ती धूल से सांस, चर्म रोग और एलर्जी जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। धूल के कारण पैदल चलने वालों और दोपहिया वाहनों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।

डिवाइडर निर्माण अधूरा, स्वीकृति राशि का दुरुपयोग? :  पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में नगर के मुख्य मार्ग पर तिल्दा-खरोरा रोड से घासीदास चौक तक सड़क चौड़ीकरण और डिवाइडर निर्माण के लिए ₹1.56 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी। लेकिन अब तक इस कार्य को पूरा नहीं किया गया। सूत्रों के मुताबिक, पहली किस्त का उपयोग कर केवल खानापूर्ति की गई है और स्वीकृत धनराशि का दुरुपयोग होने की आशंका है।

यातायात जाम और हादसों का खतरा : मुख्य मार्ग पर भारी वाहनों और लोडेड ट्रकों के लगातार आवागमन के कारण आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। धूल के कारण दृश्यता कम होने से सड़क हादसों का खतरा बढ़ गया है। नेवरा-कोटा मार्ग पर स्थिति और भी गंभीर है, जहां कई मिल और धान संग्रहण केंद्रों के कारण ट्रकों की आवाजाही अधिक रहती है।

स्थानीय नागरिकों की मांग : नगर के एक वरिष्ठ नागरिक ने बताया कि धूल से घरों और दुकानों में गंदगी भर जाती है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। नागरिकों ने प्रशासन से जल्द से जल्द डिवाइडर निर्माण कार्य को पूरा करने और धूल से राहत दिलाने की मांग की है।

क्या कहती है जनता?

  • “धूल के कारण छोटे वाहनों को चलाना मुश्किल हो गया है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है।”
  • “रोजाना धूल से बचने के लिए मास्क लगाना पड़ता है। प्रशासन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है।”

प्रशासन से सवाल : नगरवासियों का कहना है कि संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि इस समस्या को गंभीरता से लें और अधूरे निर्माण कार्य को पूरा कराएं। धूल की समस्या से राहत पाने के लिए नियमित पानी का छिड़काव और वैकल्पिक मार्ग बनाए जाने की भी मांग की गई है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)
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