बालोद

रेत चोरों के आगे जिले के जिम्मेदार नतमस्तक

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। अवैध खनन अक्सर दूर-दराज़ के इलाकों में होता है, जिससे खनन मानकों को लागू करना मुश्किल हो जाता है। खनन की ज़रूरतें एक जगह से दूसरी जगह अलग-अलग हो सकती हैं, जिससे श्रम क़ानूनों, पर्यावरण नियमों, और कर क़ानूनों का पालन करना भी मुश्किल हो जाता है। अफसर अक्सर बोलते है के अवैध खनन पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन ये सिर्फ झूठा दिलासा मात्र है। बारिश के जाते ही अवैध रेत उत्खनन में काफी तेजी आ गई है। रेत माफिया अधिक मुनाफा कमाने के लिए अभी से रेत का स्टॉक करने में जुट गए हैं। इस दौरान रेत को मनमाफिक दामों में बेचकर माफिया भारी मुनाफा कमाते हैं। इस मामले में खनिज अधिकारी बालोद का कहना है कि जिले में अगर रेत का अवैध खनन हो रहा है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।

कुछ सप्ताह पहले ही हमारे द्वारा अवैध रेत उत्खनन और अवैध रूप से रेत के परिवहन से संबंधित खबर का प्रकाशन किया था जिसमें रेत चोरों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वाहन से संबंधित जानकारी भी छापी गई थी लेकिन ना तो जिले के कलेक्टर को कोई लेना देना है और ना ही जिले के संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई मतलब। आपको बता दें कि अवैध रेत उत्खनन कर जिस वाहन में परिवहन किया जा रहा है वही वाहन से संबंधित जरूरी कागजात अपूर्ण है। जिस पर भी जिले के यातायात विभाग कोई कोई फर्क नहीं पड़ता। सूत्र बताते है कि विभाग के जिम्मेदारों को होली दिवाली में भरे हुए लिफाफों से मतलब होता है जिसके चलते सारे नियम कानून दरकिनार कर दिए जाते है। रेत चोरों के आगे अधिकारी भी बेबस हैं। पंगु व्यवस्था के आगे शिकायतकर्ता भी बेबस नजर आ रहे हैं। जिले के डौंडी ब्लॉक में ग्राम नर्राटोला के पास ही नदी से रोजाना कई गाड़ियों से अवैध रेत उत्खनन को लेकर समाचार प्रकाशित किया गया था लेकिन ना ही परिवहन विभाग, खनिज विभाग और ना ही राजस्व विभाग द्वारा कोई छुटपुट कार्यवाही भी नहीं की गई, जिससे अवैध रेत उत्खनन करने वालो के हौंसले बुलंद हो गए है। ग्रामीणों ने नर्राटोला निवासी किसी प्रकाश बघेल का नाम बताया है जो खुलेआम अवैध रेत उत्खनन कर खनिज विभाग और राजस्व विभाग के मुंह पर कालिख पोत रहा है। नदी में अवैध रूप से रेत उत्खनन कर टाटा कंपनी का टिप्पर क्रमांक सीजी 24 एम 7901 में लोड करते दिखे गए। वही इनके द्वारा गांव के बीच से और ग्राम पंचायत के सामने से ऐसा अवैध कार्य खुलेआम किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस गाड़ी का इंश्योरेंस और प्रदूषण प्रमाण पत्र भी नही पाया गया। जिले के एक आदिवासी ब्लॉक में ये हाल है तो पूरे जिले में क्या हाल होगा। वही जिले के विभिन्न घाटों से प्रतिदिन 200 ट्रैक्टर-ट्रालियां अवैध रेत भरकर प्रतिदिन निकल रहे है। जिससे लाखों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। नदियों के घाट से रेत उत्खनन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों को ताक पर रख खुलेआम नदी में जेसीबी, ट्रैक्टर, टिप्पर तथा हाईवा चलने से जलीय जंतुओं को नुकसान हो रहा है। एनजीटी के नियमानुसार किसी भी हालत में नदी नालों के अंदर से अवैध रूप से रेत नहीं निकाली जानी चाहिए।

जिले में खनन माफियाओं पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है खनिज अधिकारी में। जिले में खनन माफियाओं पर कार्रवाई के सवाल पर ही खनिज अधिकारी फोन बंद कर लेते हैं। उन्होंने शिकायतों और इस संबंध में सवाल पूछने वालों के फोन ही उठाना बंद कर दिए हैं। अगर वह फोन रिसीव भी कर लेते हैं तो हेलो-हेलो बात नहीं हो रही आवाज नहीं आ रही का बहाना बनाकर फोन काट देते हैं।

दिनांक 03 मई 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध रेत खनन के मामले में कहा है कि अवैध रेत खनन की वजह से हुई पर्यावरणीय क्षति के लिए कौन जिम्मेवार है और उस पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने क्या कार्यवाही की है इसका जिक्र नहीं है। वही छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों को इस संबंध में सूचना दी जाती है तो वे हमेशा की तरह ही कहते है कि बोर्ड के द्वारा समय समय पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। लेकिन बालोद जिले में पर्यावरण और प्रदूषण का माजरा ही कुछ और है। जिसमे छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा जिले के प्रशासनिक अधिकारी भी बराबर के जिम्मेदार है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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