छग सरकार के अविश्वसनीय आंकड़े को देख एनजीटी का चकराया दिमाग ; छग के लिए बनाई विशेष कमेटी…
रायगढ़ । पिछले तीन सालों में सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर सख्त है। एनजीटी ने तो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन के लिए डेडलाइन तक तय की थी। छग सरकार को हर छह माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है। इस रिपोर्ट में सरकार ने इतने अविश्वसनीय आंकड़े प्रस्तुत किए कि एनजीटी को संदेह हो गया। अब ज्वाइंट कमेटी इसकी जांच करने रायगढ़ समेत अन्य जिलों में पहुंच रही है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर छग सरकार ने हमेशा से आंकड़ों की बाजीगरी की है। शहर से निकल रहे कचरे को डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के जरिए पूरा एकत्रीकरण करना है। एक भी कचरा खुले में डंप नहीं किया जाना है। नगर निगम क्षेत्र में 11 एसएलआरएम सेंटर बनाए गए हैं, जिसमें दो-तीन ही चालू हैं। बाकी सिर्फ बताने के लिए हैं। एनजीटी इस मामले की हर छह महीने में सरकारों से रिपोर्ट लेती है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निकल रहे ठोस कचरे और सीवरेज वाटर के निराकरण की स्थिति बताई जाती है। छग के चीफ सेक्रेटरी की ओर से रिपोर्ट एनजीटी में पेश की जाती है। 1 अप्रैल को द्वितीय छमाही रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। छग के अविश्वसनीय आंकड़ों को देखकर एनजीटी हैरान रह गई। 4 अप्रैल को इस संबंध में आदेश जारी किया गया।
एनजीटी ने कहा है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट का शतप्रतिशत सोर्स सेग्रीगेशन बताया गया है जिस पर भरोसा करना मुश्किल है। एसएलआरएम सेंटर में वेस्ट प्रोसेसिंग, यूटीलाइजेशन, प्रोडक्ट और रिजेक्ट मटेरियल के बारे में कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं है। 2023 में जितना वेस्ट जेनरेट हो रहा था, उतना ही अब भी है, कोई अंतर नहीं है। रायपुर और राजनांदगांव को छोडक़र लीगेसी वेस्ट का पूर्ण निराकरण किया गया है। इसमें भी जानकारी की कमी है। सीवेज मैनेजमेंट में अभी भी 373 एमएलडी का गैप है।
छग के लिए बनाई विशेष कमेटी : एनजीटी ने छग के आंकड़ों को देखकर विशेष कमेटी का गठन किया है जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों का आकलन करके चार हफ्तों में रिपोर्ट देगी। इसमें पर्यावरण मंत्रालय के रीजनल ऑफिसर, सीनियर रिप्रेजेंटेटिव सेंट्रल पब्लिक हेल्थ इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग ऑर्गनाइजेशन और सदस्य सचिव सीपीसीबी के प्रतिनिधि होंगे। कमेटी को छमाही रिपोर्ट का अध्ययन कर जमीन स्तर पर सच्चाई की पड़ताल करनी होगी। पहले चरण में जांच के लिए 14 जून तक टीम रायगढ़ आ सकती है। सीईसीबी की ओर से भेजी सूचना में कहा गया है कि ज्वाइंट टीम को एमआरएफ सेंटर, आरडीएफ प्लांट, लीगेसी वेस्ट डंपसाइट, प्रोसेसिंग प्लांट, एसएलआरएम सेंटर, एसटीपी आदि देखना है।
रोड किनारे जलाया कचरा : एनजीटी टीम को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निरीक्षण करना है। लेकिन तैयारी ऐसी की गई है कि टीम केवल नगर निगम क्षेत्र देखकर वापस लौट जाए। बुधवार को शहर के कई क्षेत्रों में कचरे को जला दिया गया। निगम के सफाईकर्मी खुद कचरा जलाने में लगे रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा एकत्रीकरण और प्रोसेसिंग का कोई सिस्टम ही नहीं है। कचरा पृथक्करण शेड बनाए तो गए हैं लेकिन इनमें कोई काम नहीं होता।