रायगढ़

मानसिक प्रताड़ना से टूटकर जान दे बैठा युवक, 5 आरोपी गिरफ्तार…

रायगढ़, 1 जुलाई 2025।जिला रायगढ़ के पुसौर थाना क्षेत्र में एक युवक की आत्महत्या ने सामाजिक अमानवीयता की परतें उधेड़ दी हैं। ग्राम आरमुड़ा निवासी 27 वर्षीय सुशील भूमिया ने मानसिक प्रताड़ना से टूटकर ज़हर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इस घटना के एक महीने बाद अब पुलिस ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले पाँच आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेज दिया है।

यह मामला केवल आत्महत्या नहीं, बल्कि समाज के भीतर पल रही वह सामूहिक प्रताड़ना की प्रवृत्ति है, जो एक निर्दोष जान को निगल गई।

सुसाइड नोट बना सबूत, परिजनों की लड़ाई लाई रंग : यह दुखद घटना 29 मई 2024 की है, जब सुशील भूमिया ने ज़हर सेवन कर लिया। इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रायगढ़ लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक मर्ग जांच के बाद जब चक्रधरनगर थाना से डायरी पुसौर थाने स्थानांतरित हुई, तो मामला मर्ग क्रमांक 49/2024 के तहत दर्ज किया गया।

जांच के दौरान सामने आया कि मृतक ने आत्महत्या से पूर्व एक सुसाइड नोट लिखा था। परिजनों के बयान और गवाहों की पुष्टि से यह साफ हुआ कि सुशील को लंबे समय से ग्राम आरमुड़ा के ही पांच लोगों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।

आरोपियों के नाम उजागर, अपराध स्वीकार : पुलिस ने परिजनों के आरोप और सुसाइड नोट के आधार पर 3 जून 2025 को धारा 306, 34 भादंवि के तहत अपराध क्रमांक 161/2025 में मामला दर्ज किया।

टीआई रामकिंकर यादव के नेतृत्व में जांचकर्ताओं ने लगातार साक्ष्य एकत्र किए और आखिरकार पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में शामिल हैं:

  • सब्या भूमिया (25 वर्ष)
  • दिलीप भूमिया (24 वर्ष)
  • राजेश भूमिया (28 वर्ष)
  • बालमुकुंद नायक (55 वर्ष)
  • लवकुमार महापात्र (81 वर्ष)

सभी आरोपी ग्राम आरमुड़ा, थाना पुसौर के निवासी हैं। पूछताछ में सभी ने अपराध स्वीकार कर लिया।

पुलिस की तत्परता पर उठते सवाल भी : हालांकि पुलिस ने अब कार्रवाई कर दी है, लेकिन सवाल यह भी है कि एक महीना क्यों लग गया न्याय की पहली सीढ़ी चढ़ने में? यदि समय रहते कड़ी निगरानी या सामुदायिक हस्तक्षेप होता, तो शायद सुशील को बचाया जा सकता था।

अब न्याय की उम्मीद : पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत कर रिमांड पर भेज दिया है। मामले की आगे की जांच जारी है। अब सवाल यह है कि क्या इस बार न्याय केवल कागज़ों पर सिमटेगा या दोषियों को सज़ा भी मिलेगी? और क्या समाज इन घटनाओं से कुछ सीखेगा?

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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