“धार्मिक आस्था पर अपराध का साया : लैलूंगा के रथ मेला में खुलेआम ‘खुड़कुड़िया’ जुआ, पुलिस की मिलीभगत से फल-फूल रहा सट्टा साम्राज्य!…”

लैलूंगा (रायगढ़)। लैलूंगा थाना क्षेत्र में आयोजित रथ मेला जहां एक ओर श्रद्धा, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी पावन आयोजन को कुछ अपराधी तत्वों ने जुए और सट्टेबाजी के अड्डे में तब्दील कर दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सारा गोरखधंधा थाना परिसर से महज कुछ ही कदमों की दूरी पर खुलेआम चल रहा है – और पुलिस मूकदर्शक बनी बैठी है!
सूत्रों के मुताबिक, हर रात रथ मेला परिसर में ‘खुड़कुड़िया’ नामक जुए का खेल संचालित किया जाता है, जिसमें हजारों-लाखों की सट्टेबाज़ी होती है। यह खेल महज मौज-मस्ती या स्थानीय खेल नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा है, जिसे क्षेत्र के एक कुख्यात व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा है – जिस पर पहले से ही कई गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि यह अवैध खेल पुलिस की सीधी जानकारी और संरक्षण में चल रहा है। कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर रात पुलिस को ‘हिस्सेदारी’ दी जाती है, जिससे वह जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है। क्षेत्रीय थाना तक यह खबर कई बार शिकायतों के रूप में पहुंच चुकी है, लेकिन ना कोई छापा पड़ा, ना कोई कार्रवाई हुई – जिससे यह संदेह और पुख्ता होता है कि “रक्षक ही भक्षक बन चुके हैं”।
यह घोर चिंता और आक्रोश का विषय है कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में इस प्रकार का अपराध इतने खुले तौर पर हो रहा है, और प्रशासनिक तंत्र पूर्णतः निष्क्रिय है। मेला परिसर में जहां एक ओर श्रद्धालु भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं, वहीं दूसरी ओर जुए की बिसात पर धर्म और परंपरा को तिलांजलि दी जा रही है।
सवाल यह उठता है:
- क्या पुलिस की आंखों पर नोटों की पट्टी बंधी है?
- क्या कानून व्यवस्था केवल कमजोरों के लिए है, और रसूखदार अपराधियों के लिए पुलिस महज एक ढाल?
जनता का गुस्सा अब उबाल पर है : स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि इस अवैध जुए के अड्डे पर तुरंत छापा नहीं मारा गया, और दोषियों पर कठोरतम कार्यवाही नहीं हुई, तो जनता सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।