रायगढ़ : भक्ति, प्रशासन और जनसहयोग का अद्भुत संगम- रथ यात्रा की तैयारियों को लेकर कोतवाली में हुई ऐतिहासिक बैठक…

रायगढ़। शहर के हृदय में धड़कती आस्था और उत्सव की परंपरा को एक बार फिर जीवंत करने रथ यात्रा की तैयारियां अपने चरम पर हैं। इसी पावन अवसर की सफलता सुनिश्चित करने आज कोतवाली थाना परिसर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जहां प्रशासन और समाज ने मिलकर एक सुर में भक्ति और व्यवस्था के महायज्ञ में आहुति देने का संकल्प लिया।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे सीएसपी अनिल विश्वकर्मा एवं डीएसपी सुशांतो बनर्जी के चेहरे पर स्पष्ट था – यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि शहर की एकजुटता, आस्था और सौहार्द का प्रतीक बनने जा रहा है। बैठक में कोतवाली प्रभारी सुखनंदन पटेल, रथ यात्रा समिति के सदस्यगण, नगर निगम, विद्युत विभाग, और पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
भक्ति का रथ… और व्यवस्था का पहिया : रथ यात्रा के मार्ग से लेकर उसकी हर एक परिक्रमा बिंदु तक, बिजली के तारों की सुरक्षा से लेकर प्रकाश व्यवस्था और साफ-सफाई – हर पहलू पर सूक्ष्मता से विचार हुआ। कोतवाली प्रभारी ने समिति से इस वर्ष के कार्यक्रम की रूपरेखा और निर्धारित रूट की जानकारी ली, जिससे हर मोड़ पर प्रशासनिक तत्परता बनी रहे।
सुरक्षा का अभेद कवच : चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि यात्रा मार्ग पर प्रचुर संख्या में पुलिस बल तैनात रहेगा। भीड़ प्रबंधन, यातायात नियंत्रण और आपात स्थिति की तैयारी में कोई कोताही न बरती जाए – यह बात अधिकारियों के स्वर से झलक रही थी।
बिजली विभाग ने भी दिलाया भरोसा – यात्रा के पूरे मार्ग में निर्बाध विद्युत आपूर्ति और खतरनाक तारों की मरम्मत प्राथमिकता होगी। नगर निगम ने साफ-सफाई और निर्माण सामग्री हटवाने की जिम्मेदारी ली।
समाज और प्रशासन का अभूतपूर्व समन्वय : रथ यात्रा समिति के सदस्यों ने प्रशासन को आश्वस्त किया कि आयोजन को सफल बनाने में वे हर कदम पर साथ रहेंगे। यह केवल प्रशासनिक तैयारी नहीं थी, बल्कि एक उत्सव को मिलकर गढ़ने का भावनात्मक संकल्प था।
प्रशासन की अपील : बैठक के अंत में प्रशासन ने समस्त नगरवासियों से सहयोग की अपील की – “यह यात्रा हमारी साझा धरोहर है, इसे सफल बनाना हर नागरिक का धर्म है। कोई भी समस्या हो, तुरंत प्रशासन से साझा करें, ताकि यह उत्सव शांतिपूर्ण, भव्य और सर्वसमावेशी बने।”
भावनाओं का सार : रथ यात्रा केवल एक पर्व नहीं – यह परंपरा, श्रद्धा, संगठन और सामाजिक समरसता की जीवंत अभिव्यक्ति है। आज की बैठक ने सिद्ध कर दिया कि जब प्रशासन और समाज एक साथ खड़े हों, तब हर रथ अपनी मंज़िल तक सुगमता से पहुंचता है।