रायगढ़

“रक्त से सनी हैवानियत की पटकथा ; रायगढ़ में पति ने रची बीवी और बच्चों की मौत की साजिश, दोस्त से करवाया कत्ल…!”

रायगढ़, 27 मई 2025 – छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पति ने अपनी ही पत्नी और मासूम बच्चों को मौत के घाट उतारने की खौफनाक साजिश रची। वजह? महज 5 डिसमिल ज़मीन और कुछ पैसों का लालच!

इस दिल दहला देने वाली वारदात में आरोपी पति ने अपने दोस्त को “कातिल” बनाया, हथियार से लेकर घर की कुंडी तक – सब कुछ पहले से सेट किया गया था। तीन लाशें, सड़ा हुआ घर, और टांगी में चिपका खून – यह कोई फिल्मी सीन नहीं, रायगढ़ के ग्राम कीदा की हकीकत है।

72 घंटे में पुलिस ने फाड़ा हैवानियत का नकाब – मास्टरमाइंड निकला पति

22 मई को कीदा गांव के सरपंच ने छाल थाना में सूचना दी – “महेंद्र साहू के घर से तेज़ बदबू आ रही है!” पुलिस जब दरवाज़ा तोड़कर घर में दाखिल हुई, तो सामने था खौफनाक मंजर – खाट पर पड़ी थीं तीन लाशें – पत्नी सुकांति (35), बेटा युगल (15), और बेटी प्राची (12) – जिनके शरीर टांगी से चीर डाले गए थे।

कत्ल की पटकथा – ‘दोस्ती’, ‘लालच’ और ‘दरिंदगी’ की त्रासदी

जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, एक-एक परत खुलती गई। पति महेंद्र साहू ने पत्नी से तंग आकर उसकी हत्या की साजिश रची। उसने अपने जिगरी दोस्त भागीरथी राठिया को लालच दिया – “बीवी और बच्चों को मार, 5 डिसमिल ज़मीन और पैसा तेरा!”

महेंद्र ने खुद ही घर की कुंडी को पहले से ढीला कर रखा था, ताकि वारदात आसान हो। वो जानबूझकर गांव से बाहर गया और मौका पाकर भागीरथी ने तीनों को बेरहमी से काट डाला।

खूनी टांगी और लोहे की रॉड बनीं गवाह – तकनीक और टीमवर्क ने खोला राज

पुलिस ने ई-साक्ष्य, मेमोरेंडम, वीडियो-फोटोग्राफी और FSL रिपोर्ट के आधार पर पूरे हत्याकांड को बेनकाब कर दिया। टांगी, लोहे की रॉड बरामद की गई।

अब महेंद्र और भागीरथी दोनों न्यायिक हिरासत में हैं और उन पर BNS की धारा 103(1), 61(2), 3(5) के तहत हत्या, षड्यंत्र और क्रूरता का केस दर्ज है।

पुलिस का पराक्रम – इस हत्याकांड में इंसाफ की मशाल बना रायगढ़ पुलिस प्रशासन

इस केस में रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक श्री दिव्यांग कुमार पटेल और एसडीओपी प्रभात पटेल की अगुवाई में गठित स्पेशल टीम ने साइबर सेल, एफएसएल और डॉग स्क्वाड के साथ मिलकर दिन-रात एक कर दिया।

8 से ज्यादा टीमें, दर्जनों पुलिसकर्मी – निरीक्षक मोहन भारद्वाज से लेकर प्रधान आरक्षक शंभू प्रसाद पांडे और साइबर एक्सपर्ट तक – सभी की मेहनत से 72 घंटे में क्रूर साजिश की चूड़ी तोड़ दी गई।

एक पति, जो रक्षक होना चाहिए, बन गया भक्षक। एक दोस्त, जो भरोसे का प्रतीक होता है, बन गया जल्लाद। और तीन ज़िंदगियाँ – जो जीने की हकदार थीं – मिटा दी गईं लालच की आग में।

यह खबर केवल क्राइम नहीं, समाज को आईना है, जब ज़मीर मर जाए, तब रिश्ते भी मौत बन जाते हैं। रायगढ़ पुलिस ने फिर साबित कर दिया अपराध कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून से नहीं बच सकता!

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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