रायगढ़

“शिक्षा के नाम पर व्यापार बंद करो : रायगढ़ कलेक्टर की निजी स्कूलों को दो टूक चेतावनी!”

रायगढ़, 22 मई 2025। रायगढ़ जिले में निजी स्कूलों द्वारा किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर पालकों की जेब काटने की मनमानी अब नहीं चलेगी। कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी ने गुरुवार को आयोजित एक विशेष बैठक में जिले के सभी निजी स्कूल संचालकों और प्राचार्यों को साफ और सख्त लहजे में चेतावनी दी कि यदि किसी स्कूल ने छात्रों को किसी खास दुकान या प्रकाशन से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य किया, तो उसे स्कूल संचालन की मान्यता के विपरीत आचरण माना जाएगा और कठोर प्रशासनिक कार्रवाई तय होगी।

कलेक्टर का स्पष्ट संदेश :

“पालकों को किताबें और गणवेश अपनी सुविधा और बजट के अनुसार खरीदने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए, यह न तो स्कूलों की कमाई का जरिया है और न ही किसी दुकान से मिलीभगत का माध्यम।”

शिक्षा नहीं, व्यापार बनते स्कूलों पर करारा प्रहार : कलेक्टर श्री चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि स्कूल शिक्षा का मंदिर है, न कि मुनाफे की मंडी। कई स्कूलों द्वारा खास दुकान और पब्लिकेशन से किताबें और यूनिफॉर्म बेचवाकर बेशर्मी से मुनाफा कमाने की शिकायतें सामने आई हैं। उन्होंने दो टूक कहा “ऐसी मनमानी अब बर्दाश्त नहीं होगी।”

सीबीएसई व छग बोर्ड के लिए NCERT व SCERT की किताबें अनिवार्य : कक्षा 10वीं तक सीबीएसई स्कूलों में NCERT और छत्तीसगढ़ बोर्ड के स्कूलों में SCERT की किताबें पढ़ाई जाएं, यह निर्देश पहले से लागू है। कक्षा 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु अतिरिक्त पुस्तकों का केवल सुझाव दिया जा सकता है, उन्हें अनिवार्य नहीं किया जा सकता।

यूनिफॉर्म खरीदने में भी नहीं चलेगी जबरदस्ती : कलेक्टर ने स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर भी खुला विकल्प देने को कहा। यूनिफॉर्म किसी खास दुकान से खरीदने का दबाव डालना स्पष्ट रूप से अनुचित और शोषणकारी व्यवहार माना जाएगा।

छुट्टी के दिन बुलाने पर भी लगाम ; शासन की छुट्टियों का पालन अनिवार्य : अभिभावकों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर ने यह भी निर्देशित किया कि शासन द्वारा घोषित छुट्टियों का सभी निजी स्कूलों में कड़ाई से पालन किया जाए। अवकाश के दिन स्कूल खोलना नियमों का खुला उल्लंघन है।

फीस लेकर भी गिरता परिणाम, खराब प्रदर्शन वाले स्कूलों की होगी समीक्षा : कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त उन निजी स्कूलों के परिणामों की समीक्षा के निर्देश दिए जिनका शैक्षणिक प्रदर्शन खराब रहा है। ऐसे स्कूलों की रिपोर्ट तैयार कर भविष्य में मान्यता नवीनीकरण पर रोक तक लगाने के संकेत दिए गए हैं।

स्कूली वाहनों की फिटनेस नहीं तो तय होगी प्रबंधन की जिम्मेदारी : स्कूलों को निर्देश दिया गया कि वे अपने वाहनों की नियमित फिटनेस जांच कराएं। यदि मेंटेनेंस में लापरवाही या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन सामने आता है और उससे कोई दुर्घटना होती है, तो सीधी जवाबदेही स्कूल प्रबंधन की होगी।

रायगढ़ के निजी स्कूलों को अब यह समझ लेना होगा कि शिक्षा के नाम पर व्यापारिक ठगी, जबरदस्ती और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डालना अब नहीं चलेगा। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी की यह पहल न केवल अभिभावकों को राहत देती है, बल्कि निजी शिक्षा व्यवस्था में उत्तरदायित्व और नैतिकता की पुनर्स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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