जांजगीर-चांपा

टीकाकरण के बाद मासूम की हालत बिगड़ी, पूरे शरीर में निकले फोड़े–फुंसी, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश…

जांजगीर-चांपा/डभरा। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई है। जांजगीर-चांपा जिले के डभरा तहसील अंतर्गत ग्राम बांधापाली की पांच वर्षीय मासूम मानवी के जीवन से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने क्रूर खिलवाड़ किया है। पांच साल की आयु पर लगने वाला नियमित टीका बच्ची के लिए असहनीय पीड़ा का कारण बन गया, जिससे उसके पूरे शरीर में फफोले निकल आए और आंखों तक में सूजन आ गई।

परिजनों ने स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों पर टीकाकरण में लापरवाही बरतने और समय पर उचित इलाज ना देने का आरोप लगाया है। मासूम की बिगड़ती हालत को देखते हुए पहले रायगढ़ मेडिकल कॉलेज और फिर रायपुर मेकाहारा अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

परिजनों द्वारा कलेक्टर शक्ति से की गई शिकायत के बाद प्रशासन हरकत में आया है। कलेक्टर ने तत्काल जांच दल गठित करने का आदेश जारी किया है।

स्वास्थ्य सेवा या लापरवाही का अड्डा : डभरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाएं कोई नई बात नहीं हैं। यह केंद्र लंबे समय से राजनीतिक हस्तक्षेप, मनमानी और प्रशासनिक अस्थिरता का शिकार बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो पूर्व प्रभारी BMO डॉ. माधुरी चंद्रा, जो एक अनुभवी और कुशल चिकित्सा अधिकारी रही हैं, को राजनीतिक दबाव में हटाकर जूनियर डॉक्टर राजेंद्र पटेल को प्रभारी बना दिया गया।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि डॉ. पटेल का स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से ज्यादा रुचि निजी लाभ और राजनीतिक रसूख में है। बताया जा रहा है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल के ठीक सामने अपना निजी सोनोग्राफी सेंटर भी खोल रखा है, जिसकी शुरुआत भी राजनीतिक शान-ओ-शौकत से हुई थी।

सवालों के घेरे में डभरा स्वास्थ्य व्यवस्था :

  • कैसे हुई टीकाकरण में लापरवाही?
  • क्यों नहीं समय पर पहचान हुई रिएक्शन की?
  • किसकी है जिम्मेदारी – स्वास्थ्यकर्मी की या प्रभारी चिकित्साधिकारी की?
  • राजनीति के चलते स्वास्थ्य सेवाएं क्यों हो रही हैं कमजोर?

डभरा क्षेत्र के आम नागरिकों की मांग है कि मासूम बच्ची के साथ हुई इस अमानवीय लापरवाही के दोषियों को चिन्हित कर तत्काल निलंबन और कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, डभरा स्वास्थ्य केंद्र की कमान पुनः किसी अनुभवी और जवाबदेह अधिकारी को सौंपी जाए ताकि क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की पुनः बहाली हो सके।

जनस्वास्थ्य के नाम पर खिलवाड़ नहीं सहेंगे :ग्राम बांधापाली और आसपास के ग्रामीणों में इस घटना को लेकर भारी नाराजगी है। लोगों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सामूहिक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

मासूम की हालत आज भी गंभीर बनी हुई है, और यह घटना पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गहरे सवाल खड़े करती है। यह महज एक बच्ची की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की परीक्षा की घड़ी है। क्या शासन और प्रशासन इस विफलता की जवाबदेही तय करेगा?

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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