रायगढ़ बन रहा डिजिटल पंचायत शासन का राष्ट्रीय रोल मॉडल : गांव-गांव में अब यूपीआई से टैक्स भुगतान…

रायगढ़, 12 मई 2025। छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला आज एक ऐतिहासिक परिवर्तन का गवाह बन गया है। यह प्रदेश का ही नहीं, बल्कि देश का पहला जिला बन गया है, जहां सभी 549 ग्राम पंचायतों में टैक्स और शुल्क का भुगतान अब डिजिटल माध्यम यानी यूपीआई (UPI) के जरिए किया जा रहा है। यह अभिनव पहल ‘डिजिटल इंडिया’ के विज़न को जमीनी स्तर पर साकार करती है।
अब ग्रामीण नागरिक अपने मोबाइल फोन के माध्यम से संपत्ति कर, जलकर, बाजार शुल्क और स्वच्छता कर जैसे भुगतानों का न सिर्फ सरलता से भुगतान कर पा रहे हैं, बल्कि पारदर्शी और त्वरित प्रणाली के जरिए पंचायत प्रशासन को भी सशक्त बना रहे हैं। पंचायत भवनों और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए यूपीआई क्यूआर कोड ग्रामीणों को घर बैठे भुगतान की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
पारदर्शिता और राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि : इस डिजिटल प्रणाली के लागू होने से पारदर्शिता को जबरदस्त बढ़ावा मिला है और पंचायतों की आय में 117 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। कई पंचायतों में टैक्स वसूली पहले की तुलना में दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है। 12 मार्च 2025 को रायगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर श्री गोयल ने प्रधानमंत्री पुरस्कार की स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष इस नवाचार मॉडल की विस्तृत प्रस्तुति दी थी। उन्होंने बताया कि यूपीआई आधारित टैक्स कलेक्शन ने स्थानीय प्रशासन की दक्षता और जवाबदेही को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
आदिवासी अंचलों में डिजिटल समावेशन की अनूठी मिसाल : रायगढ़ जिले के सात में से पांच विकासखंड आदिवासी बहुल हैं, और इन क्षेत्रों में भी यह प्रणाली समान रूप से प्रभावी रूप से लागू की जा चुकी है। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि 330 पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) बिरहोर परिवारों ने भी यूपीआई से टैक्स भुगतान शुरू कर दिया है, जो ग्रामीण डिजिटल समावेशन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
ग्राम सभाओं में सहभागिता में 57% की बढ़ोतरी : डिजिटल भुगतान प्रणाली के लागू होने के बाद पंचायतों में न सिर्फ राजस्व में वृद्धि हुई है, बल्कि ग्राम सभाओं में आमजन की सहभागिता भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। तीन पंचायतों में किए गए विश्लेषण से यह सामने आया है कि ग्राम सभा में उपस्थिति में 57 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। यह ग्रामीणों की शासन प्रक्रिया में बढ़ती रुचि का प्रमाण है।
महिला स्व-सहायता समूहों और बीसी सखियों की अहम भूमिका : महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी यह मॉडल प्रेरणादायक बन गया है। बीसी सखियों और महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किए गए डिजिटल लेनदेन में निरंतर वृद्धि हो रही है।
- वर्ष 2022-23 में: ₹3969.30 लाख
- वर्ष 2023-24 में: ₹4236.50 लाख
- फरवरी 2025 तक: ₹4650.80 लाख
यह आंकड़े ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सक्रिय भूमिका और डिजिटल साक्षरता को दर्शाते हैं।
लेखा-जोखा और ऑडिट में भी सुगमता : डिजिटल ट्रांजेक्शन के चलते अब हर लेन-देन का रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है, जिससे खाता प्रबंधन, ऑडिट प्रक्रिया और नकद मिलान जैसी व्यवस्थाएं अत्यंत सरल और पारदर्शी हो गई हैं। नकद लेन-देन में होने वाली विसंगतियां अब बीते समय की बात हो चुकी हैं।
रायगढ़ जिले की यह पहल अब संपूर्ण छत्तीसगढ़ और देश के अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन चुकी है। डिजिटल इंडिया के सपने को जमीनी हकीकत में बदलते हुए रायगढ़ आज डिजिटल पंचायत शासन का प्रतीक बन गया है।