रायगढ़

“20 हजार की रिश्वत मांगने वाला क्लर्क ACB के जाल में फंसा : जनता की लूट का हिसाब अब कैश में नहीं, केस में होगा!…”

रायगढ़।छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से आई यह खबर हर उस भ्रष्ट सिस्टम पर तमाचा है, जो गरीब कर्मचारी के हक को अपनी जेब भरने का जरिया समझता है। शिक्षा विभाग का एक क्लर्क जो खुद वेतन बनाता है उसने एक चपरासी के दो लाख रुपये के बकाया वेतन पर 20 हजार की रिश्वत की बंदूक तान दी। मगर ACB की टीम ने ऐसा शिकार किया कि अब वह बंदूक खुद उसी पर चल पड़ी है।

“वेतन चाहिए? पहले जेब गर्म कर!” यही था क्लर्क फारूखी का संदेश : शिकायतकर्ता कुशू राम केवट, जो 2008 से शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में चपरासी हैं, उन्हें अक्टूबर 2014 से अप्रैल 2017 तक की तनख्वाह नहीं मिली थी। अदालत तक जाना पड़ा, हाईकोर्ट से आदेश आया – लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के क्लर्क एमएफ फारूखी ने फ़ैसले का मज़ाक उड़ाते हुए खुलेआम 20 हजार की मांग कर दी।

ACB की रणनीति : “अब कानून बोलेगा कैश नहीं” – केवट ने न्याय के लिए रिश्वत नहीं दी, बल्कि आवाज़ उठाई। बिलासपुर ACB में दर्ज की गई शिकायत के बाद जब फारूखी पहले 5 हजार की उगाही कर चुका था, तो ACB ने दूसरा वार बिना चूके किया। सोमवार को जैसे ही वह 10 हजार रुपये की दूसरी किस्त लेने पहुंचा, जाल बिछ चुका था। ACB की टीम ने जिला शिक्षा कार्यालय में ही उसे रंगे हाथों धर दबोचा।ACB की यह कार्रवाई सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, शिक्षा विभाग में बैठे हर दलाल के लिए अल्टीमेटम है। अब तुम्हारी निगरानी चालू हो चुकी है।

अब पूछेगा सिस्टम “कितनों को लूटा?” : एमएफ फारूखी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। सवाल सिर्फ एक क्लर्क की गिरफ्तारी का नहीं, उस पूरे सिस्टम का है जहां नीचे से ऊपर तक हर फाइल की रफ्तार नोटों की चिकनाई पर चलती है।

क्या यही है नया भारत का नया सिस्टम, जहाँ शिक्षा विभाग तक “शिक्षा” से ज़्यादा “उगाही” का अड्डा बन चुका है?

Ambika Sao

( सह-संपादक : छत्तीसगढ़)

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